चिराग पासवान ने कहा कि लिए नीतीश दरवाजे-दरवाजे जाकर अर्जी लगा रहे हैं। बिहार की जनता याद रखेगी कि जब उनकी हत्या हो रही थी तो कौन उनके साथ खड़ा था। कर्नाटक चुनाव के बाद शपथ ग्रहण में शामिल होने पहुंचे नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव
आराः बिहार के आरा में पहुंचे लोजपा रामविलास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने प्रेसवार्ता को संबोधित कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बिहारी जिए या मरे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्हें बस इस समय एक बात ही सुझ रही है कि कैसे भी विपक्षी दल सिर्फ मुझे प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनाने का घोषणा कर दें।
नीतीश दरवाजे-दरवाजे जाकर अर्जी लगा रहे”
चिराग पासवान ने कहा कि लिए नीतीश दरवाजे-दरवाजे जाकर अर्जी लगा रहे हैं। बिहार की जनता याद रखेगी कि जब उनकी हत्या हो रही थी तो कौन उनके साथ खड़ा था। कर्नाटक चुनाव के बाद शपथ ग्रहण में शामिल होने पहुंचे नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर चिराग पासवान ने कहा कि विपक्ष भानुमति का कुनबा है, जो कभी एकजुट नहीं हो सकता। क्योंकि जो विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकजुट हो रहा है उस विपक्ष में महत्वकांक्षी दल ज्यादा है और उनमें सभी प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने की महत्वाकांक्षा पाल रखे हैं। जिसकी वजह से विपक्ष कभी एकजुट नहीं हो सकता है। एकजुटता की कोशिश 2014 से ही चल रही है 2019 में प्रयास हुआ, लेकिन असफल रहा। अब ये लोग 2024 की तैयारी कर रहे हैं लेकिन ऐसा उनसे होने जाने वाला नहीं है।
“जो भी कानून को तोड़ता है, उस व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए”
वहीं चिराग से बिहार में बाबा बागेश्वर की गाड़ी के चालान काटने पर सवाल किया गया तो चिराग ने कहा कानून के आगे सब एक बराबर, सबके साथ एक बराबर ट्रीटमेंट होना चाहिए। जो लोग भी हो, चाहे मुख्यमंत्री हो या गृह मंत्री अधिकारी नेता सब एक बराबर है। जो भी कानून को तोड़ता है, उस व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए। इसमें एक बराबर ही सबके साथ कार्रवाई होनी चाहिए। बीजेपी में आरसीपी सिंह के शामिल होने के सवाल पर चिराग ने कहा आरसीपी सिंह के भाजपा में आने से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अंदर सबसे ज़्यादा बेचैनी बढ़ गई हैं।
“यह नोटबंदी बहुत पहले ही कर देना चाहिए था लागू”
आरबीआई द्वारा 2 हजार के नोट बंदी के फैसले पर चिराग ने कहा यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया है जो राष्ट्रीय स्तर का नीतिगत फैसला है।यह नोट बंदी बहुत पहले ही लागू कर देना चाहिए था। क्योकिं जब भी बड़े करेंसी नोट मार्केट में रहते हैं तो वह असामाजिक तत्व और अपराधिक गतिविधियों को बल देते हैं और वैसे लोग बड़े नोटों को संजोने और इकट्ठा करने के प्रयास में ज्यादा रहते हैं।
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