(कनक लता चौधरी)
हिंदुस्तान में प्रतिवर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। किसी भी राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की सबसे अहम भूमिका होती है। युवा नेताओं के कारण ही भारत ने अंग्रेजों से आजादी पाई और अब युवाओं के बूते पर ही देश विकास की राह पर है। युवा मन नई उमंगों, नये उत्साह, नई कल्पनाओं और नये विचारों से परिपूर्ण होता है। यह अवस्था उसके सपने बुनने और उन्हें साकार करने के लिए मार्ग तय करने की होती है। यही वह समय होता है जिसमें उसका भविष्य निर्धारण होता है और ऐसे समय किसी भी प्रकार की चूक उसके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देती है। प्रायः यह देखने में आता है कि युवा अपना लक्ष्य तय करके उस तक पहुंचने की दिशा में बड़े जोश के साथ कदम बढ़ाते जरूर हैं किंतु कुछ उचित मार्गदर्शन के अभाव में, कुछ विपरीत परिस्थितियों में और कुछ आरंभिक असफलताओं के चलते अपने लक्ष्य-पथ से भटक कर उन अंधेरी गलियों में खो जाते हैं जहाँ उन्हें अपना सम्पूर्ण जीवन अंधकारमय नजर आने लगता है।
(12 जनवरीः स्वामी विवेकानंद जयंती विशेष)
12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में जन्मे नरेंद्र नाथ आगे चलकर स्वामी विवेकानंद के नाम से मशहूर हुए। विवेकानंद की जब भी बात होती है तो अमरीका के शिकागो की धर्म संसद में साल 1893 में दिए गए भाषण की चर्चा ज़रूर होती है। अमरीकी भाइयों और बहनों, आपने जिस स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है उससे मेरा दिल भर आया है। मैं दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा और सभी धर्मों की जननी की तरफ़ से धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा था कि मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ़ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं।
“स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि “लक्ष्य को ही अपना जीवन कार्य समझो, हर समय उसी का चिंतन करो, उसी का स्वप्न देखो और उसी के सहारे जीवित रहो।” भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस की शुरुआत 1984 में हुई। स्वामी जी भारत में 19वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति थे और युवाओं की शक्ति में दृढ़ विश्वास रखते थे। स्वामी विवेकानंद ने ऐसे दर्शन और आदर्शों को बढ़ावा दिया जो भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत है। कम से कम 18 विभिन्न देश अपने युवाओं के सम्मान में विभिन्न दिनों पर युवा दिवस मनाते हैं। 1999 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया।
ऐसे युवाओं को समझना चाहिए कि किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए लक्ष्य का सही चयन पहली आवश्यकता होती है। लक्ष्य की प्राप्ति के प्रति दृढ़ संकल्प दूसरी आवश्यकता होती है और लगन के साथ सतत प्रयास तीसरी व अंतिम आवश्यकता होती है।
विपरीत परिस्थितियों और आरंभिक असफलताओं से घबराकर अपना सारा जोश खो देने वाले युवाओं को चाहिए कि नेपोलियन बोनापार्ट का यह सूत्र वाक्य कि “दुनिया में कुछ भी असंभव नही है ” को याद रखकर अपनी हर एक असफलता के बाद दोगुने उत्साह व साहस से अपनी मंजिल पाने की कोशिश करें। अपने ध्येय की प्राप्ति के लिए सतत प्रयास करते रहना हमारा धर्म और कर्म होना चाहिए। सतत प्रयास ही सफलता का सीधा, सरल व सच्चा मार्ग है। युवा के बिना किसी भी राष्ट्र के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती।
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