सिनेट की संयुक्त बैठक को दूसरी बार संबोधित करने वाले पहले भारतीय पीएम
पटना। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने विपक्षी एकता को अवसरवादिता की पराकाष्ठा बताया है। साथ ही कहा कि जिनके खिलाफ 23 जून को पाटलिपुत्र की धरती पर अवसरवादी नेताओं का जुटान हो रहा है, उनकी पहल का गुणगान आज पूरी दुनिया में हो रहा है। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर यूएन (संयुक्त राष्ट्र) मुख्यालय न्यूयार्क से आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को योग का संदेश देकर एक सूत्र में पिरोने का काम किया है। 22 जून को आदरणीय प्रधानमंत्री अमेरिकी सिनेट की संयुक्त बैठक को दूसरी बार संबोधित कर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा देश में नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे।
श्री पांडेय ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री होंगे, जिन्हंे दो बार अमेरिकी सिनेट की संयुक्त बैठक को संबोधित करने का मौका मिलेगा। भारत के ये ऐसे पहले प्रधानमंत्री होंगे, जो 9 साल के अपने शासन के दौरान सबसे अधिक 9 बार किसी विदेशी संसद को संबोधित करेंगे। इससे पहले भारत के किसी पूर्व प्रधानमंत्री को ऐसा मौका नहीं मिला है, लेकिन भ्रष्टाचार मे लिप्त देश की विपक्षी पार्टियों के नेताओं को आदरणीय प्रधानमंत्री की लोकप्रियता हजम नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि कभी एक-दूसरे की धुर विरोधी रही सियासी पार्टियां एकजुटता दिखा भाजपा को सत्ता से दूर रखने का ख्वाब देख रही है, लेकिन देश की जनता इन पार्टियों को ऐसा सबक सिखाएगी कि आम चुनाव के पहले ही महाजुटान में शामिल अवसरवादी नेताओं की राहें खुद-ब-खुद जुदा हो जायंेगी। देश की जनता 2024 में एक बार फिर एनडीए पर भरोसा जतायेगी और आदरणीय प्रधानमंत्री को तीसरी बार देश की बागडोर सौंप भ्रष्टाचारियों से देश को सुरक्षित रखने का काम करेगी।
श्री पांडेय ने कहा कि यूएन में 2014 में की गई आदरणीय प्रधानमंत्री की पहल का ही नतीजा है कि दुनिया के कई देशों में लोग अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह पूर्वक मना रहे हैं। 2015 में भी विपक्ष ने योग को लेकर हो-हल्ला कर आदरणीय प्रधानमंत्री का विरोध किया था। जबकि तब उनकी पहल पर 177 देशों ने यूएन में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने को लेकर प्रस्ताव रखा था, जो सार्थक भी रहा। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर इस बार का थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का है, जो यह बताता है कि संपूर्ण विश्व एक परिवार के समान है। आदरणीय प्रधानमंत्री इसी अवधारणा को आत्मसात कर विश्व का कल्याण की सोच रहे हैं।
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