जदयू की ओर से आज 15 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की गयी है. जिसमें पहले नंबर पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह का है.
पटना. जनता दल यूनाइटेड ने यूपी चुनाव के लिए अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. सूची में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम शामिल नहीं है. खास बात यह है कि इस सूची में केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का भी नाम शामिल नहीं है. ऐसे में अब यह तय हो गया है कि आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार यूपी में जदयू के लिए प्रचार नहीं करेंगे.
15 स्टार प्रचारकों की सूची जारी
जदयू की ओर से आज 15 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की गयी है. जिसमें पहले नंबर पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह, केसी त्यागी, उपेन्द्र कुशवाहा, रामनाथ ठाकुर, एमएस कुशवाहा, गुलाम रलूस बलियावी, हर्षवर्धन सिंह, रविन्द्र प्रसाद सिंह, अनुप सिंह पटेल, आरपी चौधरी, सुरेन्द्र त्यागी, संजय कुमार, भरत पटेल, संजय दांगर और केके त्रिपाठी का नाम शामिल है.
यूपी में भाजपा से गठबंधन नहीं करा पाये आरसीपी
दरअसल, सूची में आरसीपी सिंह का नाम नहीं होना, राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह पहले से माना जा रहा था कि आरसीपी खुद को यूपी चुनाव से अलग रखेंगे. दरअसल पार्टी ने यूपी में भाजपा के साथ गठबंधन के लिए आरसीपी सिंह को जिम्मेवारी दी गयी थी, लेकिन सीटों को लेकर किसी प्रकार की साझेदारी नहीं हो सकी. इसको लेकर अध्यक्ष ने उनसें स्पष्टीकरण की भी मांग की थी.
भाजपा का विरोध करने से बचते रहे हैं आरसीपी
यूपी में भाजपा के साथ साठगांठ कराने में विफल रहे आरसीपी सिंह को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अब तक चुप्पी साध रखे हैं. राजनीतिक जानकार यह कहते रहे हैं कि यूपी में भाजपा के खिलाफ बोलना जदयू के लिए आसान नहीं है. केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह भाजपा के खिलाफ यूपी में शायद ही प्रचार करें.
ललन सिंह कर चुके हैं जबाव-तलब
दल के अंदर भी आरसीपी सिंह अलग थलग हो चुके हैं. पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह कई बार दोहरा चुके हैं कि यूपी में भाजपा से साझेदारी को लेकर जदयू ने अंत-अंत तक इंतजार करता रहा, आरसीपी के विश्वास पर विश्वास करना सही नहीं रहा. पार्टी अगर अकेले चुनाव में उतरने की तैयारी पहले से की होती तो बेहतर नतीजे सामने आते. पार्टी की ओर से अब तक 20 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की गयी है.
जदयू चाहता था 51 सीट
मालूम हो कि पहले जदयू यूपी में भाजपा से 51 सीटें मांग रही थी. इधर आरसीपी सिंह ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी इसको लेकर बात की थी, लेकिन किसी प्रकार के नतीजे नहीं निकले. तब जाकर जदयू ने अकेले चुनाव में उतरने का एलान किया
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