रजत जयंती के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से अहसास कलाकृति द्वारा पटना के पूर्वी गांधी मैदान स्थित कालिदास रंगालय सभागार में डॉ प्रमोद कुमार सिंह लिखित एवं बहुचर्चित रंगकर्मी कुमार मानव निर्देशित हिंदी नाटक शरत से वसंत तक की प्रस्तुति की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ उद्घाटनकर्ता श्री सत्यनारायण प्रसाद, सेवानिवृत्त सहायक जिला आपूर्ति पदाधिकारी, मुख्य अतिथि श्री अभिमन्यु दास, अवर सचिव निगरानी विभाग पटना एवं विशिष्ट अतिथि डॉक्टर मिथिलेश कुमार, संस्थापक निदेशक, राज कॉमर्स के कर कमलों द्वारा हुआ।
नाटक का नायक विजय एक छोटा चोर है, फुटपाथ पर सोने वाला। नायिका लीला एक वेश्या है, जिंदगी चलाने के लिए मजबूर समाज के जाल में फंसी हुई। शरत के मौसम में विजय को कहीं ठिकाना नहीं है। वह चाहता है कि किसी भांति केवल तीन महीने के लिए जेल चला जाए तो ठंड का मौसम कट जाए। लीला विजय से शादी करके घर बसाना चाहती है लेकिन वह अपने को ऊंचे वर्ग का समझते हुए बार-बार इंकार करता है और लीला का मजाक उड़ाता है। यह दोनों शाम से रात तक शहर में अपने-अपने ध्येय से घूमते हैं। विजय का जेल जाने का प्रयास बार-बार असफल हो जाता है। इस बीच कई सेठ स्मगलर और दलाल आते हैं। विजय और लीला दोनों महसूस करते हैं कि यह बड़े लोग, सेठ, अमीर व्यापारी अट्टालिकाओं में रहने वाले, उन दोनों से अधिक चोर और चरित्रहीन हैं।
अंत में विजय एक मंदिर के पास पहुंचता है वहां प्रवचन भजन सुनकर वह कसम खाता है कि अब अपराध छोड़ कर सीधा, निर्दोष, इमानदार जीवन जिएगा। लीला भी विजय की बातें सुनकर अपना धंधा छोड़ने का प्रण लेती है।
उसी समय पुलिस विजय को देख लेती है और चोरी के इल्जाम में पकड़कर हवालात ले जाती है। लीला कहती है कि वह विजय का बाहर आने का इंतजार करेगी।
यह नाटक इन पात्रों के माध्यम से समाज की विडंबनाओं, विसंगतियों को अभिव्यक्त करती है।
नाटक नायक विजय के पात्र में विजय कुमार चौधरी ने दमदार अभिनय किया। वेश्या के पात्र में राधा कुमारी ने दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। सरबिंड कुमार ने दलाल की भूमिका को जीवंत कर दिया। नारायण सेठ की भूमिका में नाटक के निर्देशक कुमार मानव ने अपने अभिनय कौशल का परिचय दिया। अन्य पात्रों में विभा सिन्हा, भुनेश्वर कुमार, राज किशोर, बलराम कुमार, मंतोष कुमार, कुमार शुभम ने भी अपने अभिनय से लोगों का खूब मनोरंजन किया।
मंच संचालन डॉक्टर शैलेंद्र जोसेफ ने किया। प्रकाश परिकल्पना ब्रह्मानंद पांडे का था , मंच सज्जा संतोष कुमार, रूप सजा और वस्त्र विन्यास माया कुमारी ने किया वहीं संगीत संयोजन मानसी कुमारी का था एवं विशेष सहयोग प्रदान किया कला सांस्कृतिक पुरुष व वरिष्ठ पत्रकार विश्वमोहन चौधरी संत ने। कार्यक्रम में दिव्या कुमारी, हिमांशु, मयंक, राम बापू राम, कुमार अभिनय, एवं कुमार रंगकर्मी ने भी अपना सहयोग प्रदान किया।
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