पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बिहार ने कुष्ठ उन्मूलन की दिशा में बेहतर कार्य किया है। इसका परिणाम है कि राज्य अब कुष्ठ उन्मूलन के नजदीक है। बिहार में कुष्ठ के उपचार के लिए बहुचिकित्सा प्रणाली वर्ष 1996-97 से लागू की गयी थी। इसके अंतर्गत एमडीटी की दवा प्रत्येक पीएचसी पर मुफ्त में लोगों को दी जाती है। राज्य में नवंबर 2021 तक करीब 17 लाख कुष्ठ रोगियों को रोगमुक्त किया जा चुका है।
श्री पांडेय ने कहा कि इस प्रणाली के अंतर्गत छह माह से एक साल तक चिकित्सा उपलब्ध करा देने पर कुष्ठ रोगी पूर्णतः ठीक होकर रोगमुक्त हो जाता है। शीघ्र जांच एवं चिकित्सा से रोगी में विकलांगता नहीं आती है। कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम का लक्ष्य कुष्ठ के रोगियों का प्रसार दर प्रति 10 हजार व्यक्तियों पर एक से कम लाना है। बिहार में 6 जिलों को छोड़कर सारे जिलों में यह आंकड़ा 10 हजार की आबादी पर एक से कम है। छह जिले जिनका कुष्ठ का प्रसार दर एक से ज्यादा हैं, उनमें किशनगंज, अरवल, कैमूर, सीतामढ़ी, शेखपुरा और सुपौल शामिल हैं। इन जिलों में प्रसार दर को कम करने के लिए सरकार प्रयत्नशील है। अतः अनुमानतः 2024 तक इस लक्ष्य की प्राप्ति होने की संभावना है। प्रसार दर कम करने के लिए सरकार द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
श्री पांडेय ने कहा कि 2016-17 में जहां नए केस खोज की संख्या 21 हजार 818, 2017-18 में 21हजार 353, 2018-19 में 17 हजार154, 2019-20 में 16 हजार 595 थी, वहीं अब 2020-21 नवंबर तक 8 हजार 207 है। वर्ष 2020-21 में नवंबर तक कुष्ठ से ठीक हुए 89 लोगों की रिकंस्ट्रक्टीव सर्जरी भी हो चुकी है। रिकंस्ट्रक्टीव सर्जरी कराने वाले मरीजों को आठ हजार रुपये की इंसेटिव राशि दी जाती है
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