टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वालों के लिए बचाव जरूरी
,पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में टीबी की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रयत्न कर रहा है। इसके तहत कई कार्यक्रम चल रहे हैं। टीबी जैसी बीमारी की शीघ्र पहचान एवं उपचार जरूरी है। इसके लिए रोकथाम अति आवश्यक है। इसको ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा बुधवार 9 फरवरी से टीबी प्रीवेन्टिव ट्रीटमेंट का आरंभ राज्य के 11 जिलों में किया जा रहा है।
श्री पांडेय ने कहा कि राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीइपी) के अंतर्गत समय-समय से जांच, नियमित उपचार के साथ-साथ टीबी से बचाव के लिए कई कार्यक्रम हो रहे हैं। उसी के तहत संक्रामक फेफड़े के टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले छह वर्ष से कम आयु के बच्चों तथा एचआईवी संक्रमित बच्चों व वयस्कों को आइसोनिआजिड प्रीवेन्टिव ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। भारत सरकार के केंद्रीय यक्ष्मा प्रभाग के प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट आफ ट्यूबरकुलोसिस प्रीवेन्टिव ट्रीटमेंट के अनुसार अब फेफड़े के टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले सभी बच्चों एवं वयस्कों, जिनमें टीबी के लक्षण नहीं हो, को भी टीबी प्रीवेन्टिव ट्रीटमेंट प्रदान किया जाना है।
श्री पांडेय ने कहा कि राज्य के छह जिलों नालंदा, भागलपुर, समस्तीपुर, सीवान, वैशाली एवं गोपालगंज में सरकारी तंत्र के माध्यम से क्रियान्वयन किया जाना है। वहीं पांच जिलों में ज्वाइंट एफर्ट फॉर एलिमेशन ऑफ टीबी (जीत) के तहत दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सारण, पूर्वी चंपारण एवं पूर्णिया में इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन के द्वारा किया जाएगा। (एनटीइपी) के तहत टीबी रोगियों के निःशुल्क जांच एवं उपचार, पंजीकृत रोगियों को निक्षय पोषण योजना का लाभ मिल सके इसके लिए सभी जिलों में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
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