पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में बाल एवं शिशु मृत्यु दर के आंकडों में पहले के मुकाबले कमी आयी है। बाल एवं शिशु मृत्यु आंकड़ों में आयी कमी स्वास्थ्य विभाग के परिश्रम का परिणाम है। विभाग की कोशिश रहेगी कि बिहार में बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता में रखा जाए और उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाए। जिससे आगे भी इन आंकड़ों में कमी आये और अधिक से अधिक बच्चों की जान बचायी जा सके।
श्री पांडेय ने कहा कि 2019 के सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे के ताजा आंकड़ों के अनुसार बिहार में बाल मृत्यु के आंकड़ों में राष्ट्रीय औसत के मुकाबले भी कमी आयी है। 5 साल से कम उम्र के बाल मृत्यु के आंकड़े 2018 के सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे में जहां 37 था। वह इस बार 2019 में आयी रिपोर्ट में तीन अंक घटकर 34 हो गया है। वहीं 5 साल से कम उम्र के बाल मृत्यु के आंकड़े भारत में 2018 के सर्वे में जहां 36 था वह कम हो कर 35 हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़ों में एक अंक की गिरावट आयी है। बिहार इन आंकड़ों में राष्ट्रीय औसत से भी एक अंक कम है।
श्री पांडेय ने कहा कि नवजात मृत्यु दर (एक महीने के अंदर) के आंकड़े बिहार में 2018 के सर्वे के अनुसार यह आंकड़ा 25 था, वहीं 2019 के सर्वे के अनुसार यह आंकड़ा कम होकर 23 हो गया है। नवजात मृत्यु दर में 2 अंक की कमी आयी है। एक सप्ताह के भीतर होने वाले शिशुओं के मौत के आंकड़ें 2018 मे जहां 20 था। वह आंकडें 2019 में घटकर 18 हो गये। शिशु मृत्यु दर (एक साल के भीतर मौत के आंकड़े) 2018 के सर्वे में जहां 32 था, वहीं अब 2019 में यह आंकड़ां 29 हो गया है। इसमें तीन अंकों की गिरावट आयी है। यह आंकड़ा हमारे राष्ट्रीय औसत के अनुसार 30 है। जो बिहार में उससे एक अंक कम है।
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