लोकसभा चुनाव नजदीक है और सभी राज्यों में गठबंधन सीट शेयरिंग पर फाइनल डिसीजन लेने में जुटे हैं। इसी बीच बिहार से ऐसी खबरें आ रही हैं कि एनडीए ने राज्य में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फाइनल कर लिया है।
दिलचस्प बात ये है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो हाल में ही एनडीए से वापस जुड़े हैं, इस वक्त देश से बाहर हैं।
नीतीश की गैरमौजूदगी में एनडीए द्वारा सीट शेयरिंग को लेकर डील फाइनल करने की चर्चा तेज है। खास बात ये है कि खुद को मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान को इंडिया ब्लॉक की ओर से भी ऑफर आ रहे थे। राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा थी कि चिराग को कुल 10 सीटें ऑफर की गई थी, 8 बिहार में तो 2 यूपी में। इसी के बाद ही अमित शाह सक्रिय हुए और कमान अपने हाथों मे ले ली।
चिराग दो कारण से परेशान थे। पहला यह कि उनके चाचा ने अपना अलग धड़ा खड़ा कर लिया था। चिराग के चाचा पशुपति पारस पांच सांसदों के नेता थे। चिराग अपनी पार्टी के इकलौते सांसद थे। उन्हें डर था कि चाचा कहीं उनका हक न मार ले। दूसरा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भी चिराग के रिश्ते खास अच्छे नहीं हैं। लेकिन अमित शाह ने उनकी पहेली भी सुलझा दी है।
बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने अभी सबको खुश रखते हुए बिहार की 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला तय कर दिया है। राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार एनडीए में सीट शेयरिंग फाइनल हो चुकी है। इसे लेकर सभी दलों की सहमति भी बन गई है। अब बस औपचारिक ऐलान का इंतजार है।
सूत्रों की माने तो बीजेपी ने अपने पास 17 सीटें रखते हुए जदयू को 16, रालोजद को 1, हम (सेक्युलर) को 1, लोजपा(पारस गुट) को 2 और लोजपा (रामविलास) को 3 सीटों पर मना लिया है।
कई लोगों के मन में ये सवाल भी आ सकता है कि 10 सीटों को छोड़ चिराग 3 के लिए कैसे मान गए तो इसकी सबसे बड़ी वजह मोदी लहर है। ऐसा माना जा रहा है कि मोदी की लहर में जीतना चिराग की पार्टी के लिए ज्यादा आसान होगा। साथ ही हाजीपुर की सीट भी चिराग को मिल सकती है जिसके लिए वे चाचा पारस के साथ जद्दो-जहद कर रहे थे। पारस को भाजपा राज्य सभा भेज सकती है। वहीं चिराग से बगावत करने वाले भाई प्रिंस को भी लोक सभा के रास्ते से हटाकर बिहार मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने उपेंद्र कुशवाहा को भी मना लिया है। उनसे भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और सांसद संयय जयसवाल ने मुलाकात की। मुलाकात को लेकर दोनों नेताओं ने चुप्पी साधी हुई है, लेकिन कुशवाहा के बयान से यही लगता है कि सब कुछ सही रास्ते पर है। दोनों की मीटिंग के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि संजय जयसवाल से उनकी पहले भी बातचीत होती रही है। चुनावी मौसम में दोनों की मुलाकात निश्चित तौर पर चुनाव को लेकर थी। उनके बयान की एक लाइन से ही स्पष्ट है कि वे अब संतुष्ट हैं।
उधर ये चर्चा भी तेज है कि इन सीट बंटवारों के साथ में पशुपति पारस को राज्य सभा, ललन सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह और हम (सेक्युलर) को बिहार मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्रालय देने की बात चल रही है। हालांकि, सीट बंटवारे को लेकर ये चर्चाएं और अनुमान कहां तक सच साबित होता है ये देखने वाली बात होगी। लेकिन इतना तो तय है कि बीजेपी के चाणक्य ने बिहार में उलझी गुत्थी को सुलझा लिया है।
इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने उपेंद्र कुशवाहा को भी मना लिया है। उनसे भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और सांसद संयय जयसवाल ने मुलाकात की। मुलाकात को लेकर दोनों नेताओं ने चुप्पी साधी हुई है, लेकिन कुशवाहा के बयान से यही लगता है कि सब कुछ सही रास्ते पर है। दोनों की मीटिंग के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि संजय जयसवाल से उनकी पहले भी बातचीत होती रही है। चुनावी मौसम में दोनों की मुलाकात निश्चित तौर पर चुनाव को लेकर थी। उनके बयान की एक लाइन से ही स्पष्ट है कि वे अब संतुष्ट हैं।
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