वैशाली देश में ही स्थित है दुनिया का पहला गणतांत्रिक राज्य है

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बिहार राज्य में स्थित वैशाली गांव वह जगह है, जो अपने आप में दुनिया के सबसे पहले गणतंत्र की धरोहर को आज भी समेटे हुए है। इस राज्य की संसद का खंडहर आज भी इसके वैभव की बानगी पेश करता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

 26 जनवरी 2019 को अपना 70वां गणतंत्र दिवस मनाएंगे। इसके लिए दिल्ली में राजपथ पर पूरी तैयारियां हो गई हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि सबसे पहले किस देश में गणतंत्र का कॉन्सेप्ट आया होगा? कौन-सा देश या राज्य है, जो सबसे पहला गणतांत्रिक राज्य है? आपको जानकर हैरानी होगी कि यह गौरव भारत के पास ही है। बिहार राज्य में स्थित वैशाली गांव वह जगह है, जो अपने काल में दुनिया का सबसे पहला गणतंत्र बना। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं…

क्या है इतिहास?
ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर वैशाली को दुनिया का पहला गणतंत्र राज्य माना जाता है। वर्तमान बिहार राज्य के वैशाली जिले में आज पुरातन गणतंत्र वैशाली एक गांव के रूप में स्थित है। खास बात यह है कि यहां उस काल के स्तूप और शिलाएं आज भी आपको देखने के लिए मिलेंगे। हर साल बड़ी संख्या में सैलानी और शोधार्थी वैशाली आते हैं। यहां की स्थानी भाषा वज्जिका है।

दर्शनीय स्थल
वैशाली में घूमने के लिए कई दर्शनीय स्थल हैं। वैशाली भगवान महावीर की जन्मस्थली है। इसलिए यहां जैन धर्म को माननेवाले लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। साथ ही जैन धर्म से जुड़े धार्मिक स्थल यहां बड़ी संख्या में है। वैशाली को भगवान बुद्ध की कर्मभूमि भी कहा जाता है। यहां जैन धर्म को नजदीक से जानने-समझने का अवसर मिलता है। साथ ही भव्य मंदिर सैलानियों का मुख्य आकर्षण होते हैं।

बुद्ध स्तूप
गौतम बुद्ध के काल के गौरव का वर्णन करता बुद्धा स्तूपास बहुत ही सुंदर और दर्शनीय है। अगर आप यहां घूमने जाएं तो प्रयास करें कि सूर्योदय के समय पहुंचे। उस समय यहां का दृश्य सबसे सुंदर और मनोहर होता है। आप इस खूबसूरत सुबह को अपने कैमरे में भी कैद कर सकते हैं। यहां फोटो और विडियोग्राफी की अनुमति है। यहां प्रवेश के लिए किसी तरह का शुल्क नहीं देना होता है।

आर्कियॉलजिकल संग्राहलय ऑफ वैशाली
पुरातन चीजों को देखने, जानने और समझने में किसकी रुचि नहीं होती। हर कोई अपने इतिहास के दर्शन करना चाहता है। अगर आप भी भारत के गौरवपूर्ण इतिहास को नजदीक से देखना और समझना चाहते हैं तो आपको इस संग्राहलय को देखने जरूर जाना चाहिए। खास बात यह है कि यहां घूमने और चीजों को जानने के लिए आपको किसी तरह का शुल्क नहीं देना होगा।

राजा विशाल का गढ़
प्राचीन समय में राजा विशाल का गढ़ रहा यह स्थान आज वास्‍तव में एक छोटा टीला है, जिसकी परिधि एक किलोमीटर के आस-पास है। इसके चारों तरफ दो मीटर ऊंची दीवार है जिसके चारों तरफ करीब 43 मीटर चौड़ी खाई है। समझा जाता है कि यह प्राचीनतम संसद है। इस संसद में 7,777 संघीय सदस्‍य इकट्ठा होकर समस्‍याओं को सुनते थे और उस पर बहस भी किया करते थे। यह भवन आज भी पर्यटकों को भारत के लोकतांत्रिक प्रथा की याद दिलाता है।

कुण्‍डलपुर (कुंडग्राम)
यह जगह भगवान महावीर का जन्‍म स्‍थान होने के कारण काफी लोकप्रिय है। यह स्‍थान जैन धर्मावलम्बियों के लिए काफी पवित्र माना जाता है। वैशाली से इसकी दूरी 4 किलोमीटर है। इसके अलावा वैशाली महोत्‍सव, वैशाली संग्रहालय तथा हाजीपुर के पास की दर्शनीय स्थल एवं सोनपुर मेला आदि भी देखने लायक है।

बावन पोखर मंदिर
बावन पोखर के उत्तरी छोर पर बना है पाल कालीन बावन पोखर मंदिर। इसमें हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। साथ ही इस पोखर (छोटा जलाशय) के बीच में एक जैन मंदिर भी बना है। इस मंदिर में स्थापित भगवान महावीर की मूर्ति, इसी पोखर में खुदाई के दौरान निकली थी। साथ ही बावन पोखर मंदिर में रखी गई हिंदू-देवी देवताओं की कई तस्वीरें भी इस पोखर की खुदाई के दौरान बरामद हुई थीं।

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