“सिर्फ तुम ही हो…”

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 तुम मेरे राम, तुम ही मेरे श्याम हो

 तुम मेरी आत्मा, तुम ही परमात्मा…..

तुम मेरे गुरु, तुम मेरे दोस्त हो

तुम मेरे प्रियतम, तुम ही मेरे जीवन साथी हो…..

तुझ में मिला मुझे जीवन का हर एक रिश्ता

रिश्तो की महकती सुगंध सिर्फ तुम ही हो ……

तुझसे मिला मुझे नया जीवन

जीवन के हर एक क्षण में सिर्फ तुम ही हो ……

मेरी खूबियों और शक्तियों को परख कर

उसे विकसित करने वाले सिर्फ तुम ही हो ……

तू ही मेरी मुस्कान, तुझसे ही मेरी खुशियां

मेरे जीवन की सफलता का सार सिर्फ तुम ही हो ….

दिन की शुरुआत करु तेरे चेहरे को देखकर

 मेरे दिन का अंत भी सिर्फ तुम ही हो ……

मेरे चिंतन में तुम, मेरे जेहन मे तुम

मेरे ख़यालों की लहरों में सिर्फ तुम ही हो……

तेरी इच्छाए और खुशियां ही मेरी प्राथमिकता

 मेरे जीवन का सर्वस्व सिर्फ तुम ही हो ……

तेरे मधुर स्पर्श से हो मेरी तकलीफो का अंत

मेरे हर एहसास में सिर्फ तुम ही हो …..

रिश्ते तो कई है इस दुनिया में पर

मेरे सबसे करीब सिर्फ तुम ही हो ……

तू है तो मैं हूँ, तू ही मेरा वजूद

मेरी हर एक सांस में सिर्फ तुम ही हो ……

तू है प्रेम, वात्सल्य और करुणा की मूर्ति 

सर्व जीवों प्रति समभाव रखने वाले सिर्फ तुम…..

मेरी मुस्कान में तुम, मेरी प्रीत में तुम

मेरे शब्दों में तुम, मेरी सफलता मे तुम ही हो….

तू मेरा वर्तमान, तू ही मेरा भविष्य

मेरे हर एक पल मे सिर्फ तुम ही हो…..

तेरे साथ प्यार हुआ यह मेरा सौभाग्य

प्रेम की दुनिया के बेताज बादशाह सिर्फ तुम ही हो….

एक दिन तू बनेगा योग और नेचरोपैथी की दुनिया

का चमकता सितारा, यह मुजे संपूर्ण विश्वास है….

“लीना त्रिवेदी”

 (रचनाकार)

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