ऑपरेशन शीशमहल’ में खुलासों का सिलसिला जारी है। सीएम अरविंद केजरीवाल के नए ‘महल’ पर एक और बड़ा दावा किया गया है। ऑपरेशन में कहा गया है कि रेनोवेशन बात ही फिजूल है। असल में नया सीएम हाउस बना है। 2022 में पुराने सीएम आवास को पूरी तरह गिरा दिया गया था।
ऑपरेशन शीशमहल’ के पार्ट-5 में
सीएम केजरीवाल पर नया खुलासा
2022 में ही पुराने सीएम आवास को पूरी तरह से गिरा दिया गया था
केजरीवाल की बढ़ सकती है मुश्किल, कई सवालों को जवाब तलाशना होगानई दिल्ली: ‘ऑपरेशन शीशमहल’ (Operation Sheel Mahal) ने केजरीवाल सरकार को हिलाकर रख दिया है। इसमें एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे हो चुके हैं। अभी भी सिलसिला थमा नहीं है। पहले ही यह बात सामने आ चुकी है कि रेनोवेशन के नाम पर 45 करोड़ रुपये की रकम को नए सीएम आवास पर पानी की तरह बहाया गया। इससे लाखों के कमोड और पर्दे लगाए गए। करोड़ों का मार्बल लगाया गया। अब इन सब चीजों से भी बड़ा खुलासा हुआ है। यह बात सामने आई है कि पुराने सीएम आवास को पूरी तरह गिरा दिया गया। इससे साफ होता है कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के नए ‘महल’ को बनाने में नियम-कायदों को ताक पर रख दिया गया। इस पूरे मामले ने कई सवाल खड़े किए हैं। इन सवालों के जवाब शायद आज की तारीख में सीएम केजरीवाल के पास नहीं हैं।
1. नई बिल्डिंग ही बनानी थी तो रेनोवेशन का ड्रामा क्यों?
सबसे पहला सवाल तो यही उठता है कि जब नई बिल्डिंग ही बनानी तो रेनोवेशन का ड्रामा करने की क्या जरूरत थी। ‘ऑपरेशन शीशमहल’ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2022 में ही पुराने सीएम आवास को पूरी तरह गिरा दिया गया था। 2021 में नई बिल्डिंग का स्ट्रक्चर बनकर तैयार हो गया था।
2. परमिशन रेनोवेशन की, काम कंस्ट्रक्शन का क्यों?
दूसरा सवाल यह है कि अगर परमिशन रेनोवेशन की ली गई थी तो कंस्ट्रक्शन का काम क्यों कराया गया। आखिर सीएम केजरीवाल को किस बात का डर था। ऑपरेशन शीशमहल में कहा गया है कि सितंबर 2017 तक पुराने आवास से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी। वहीं, 2021 में नई बिल्डिंग का स्ट्रक्चर बनकर तैयार हो गया था। फिर 2022 में पुराने सीएम आवास को पूरी तरह साफ कर दिया गया।
3. मुगल गार्डन जैसा ‘केजरीवाल गार्डन’ क्यों?
केजरीवाल हमेशा सादगी और ईमानदारी की बात करते रहे हैं। लेकिन, ‘ऑपरेशन शीशमहल’ ने सीएम के इन दावों की पोल खोल दी है। रिपोर्ट के अनुसार, केजरीवाल के नए ‘महल’ में पुराने घर जितना तो गार्डन बना है। ऑपरेशन में इसे ‘केजरीवाल गार्डन’ नाम दिया गया है। सवाल यह है कि सादगी पसंद सीएम को ऐसे गार्डन की क्या जरूरत थी।
4. 8 लाख के पर्दे, 4 लाख के कमोड क्यों?
ऑपरेशन शीशमहल के खुलासे के मुताबिक, केजरीवाल के नए घर में 8-8 लाख रुपये के पर्दे लगाए गए हैं। 4-4 लाख रुपये के कमोड हैं। करोड़ों रुपये के मार्बल लगे हैं। यह टैक्सपेयर की गाढ़ी कमाई की बर्बादी नहीं तो क्या है? क्या किसी आम आदमी के घर में ऐसे ही पर्दे और टॉयलेट सीट्स लगी होती हैं?
5. नया घर बनवाने की ऐसी भी क्या जल्दी थी?
यह तो साफ है कि केजरीवाल के नए घर को बनाने में नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। लेकिन, एक बात और समझ के परे है। जिस समय यह घर बनवाया गया उस समय कोरोना की महामारी पीक पर थी। महामारी के दौर में जब लोग हाल-बेहाल थे। कोरोना की विनाशलीला चरम पर थी। उस मुश्किल घड़ी में नया घर बनवाने की क्या जल्दी आ पड़ी? क्या इसके लिए थोड़ा वक्त नहीं लिया जा सकता था?
ये सवाल तो महज बानगी हैं। तकनीकी पक्षों में घुसेंगे तो सामने और 100 सावाल खड़े हो जाएंगे। इनका जवाब सीएम केजरीवाल को तलाशना होगा। कारण यह है कि AAP की बुनियाद ही ईमानदारी और सादगी की लहर पर पड़ी थी। इस ऑपरेशन के बाद वह बुनियाद दरकती नजर आ रही है। दिल्ली शराब घोटाले में जिस तरह AAP के नेता और कई मंत्री पहले ही सलाखों के पीछे हैं, उसके बाद ‘महल’ का मसला पार्टी की छवि को बट्टा लगाता दिख रहा है।
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