सुशासन के ‘अफसरों’ की खोली पोल तो हरकत में आई सरकार.

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बिहार में अफसरशाही इस कदर हावी है कि जनप्रतिनिधियों का कोई वैल्यू ही नहीं रहा। अफसर इतने बेलगाम हो गये हैं कि सांसदों-विधायकों को सम्मान भी नहीं देते। हालात ये हो गये हैं कि विधायकों की सलाह मानने की बात छोड़िए उनके पत्र का जवाब भी नहीं दिया जाता है। इस बार सत्ताधारी विधायकों ने ही इस इश्यू पर नीतीश सरकार को घेरा है। भाजपा-जेडीयू के विधायक लगातार सरकार से बेलगाम अफसरशाही की शिकायत कर रहे। मजबूरन बिहार सरकार को सांसदों-विधायकों के सम्मान में कोई कोताही न हो इसके लिए अफसरों को सख्त हिदायत देनी पड़ रही है। सरकार ने साफ किया है कि अगर विधायक-सांसद पत्र लिख जानकारी या सुझाव देते हैं तो उस पत्र का हर हाल में जवाब देना है।

दरअसल, बिहार के पूर्व मंत्री व बीजेपी के तेजतर्रार विधायक नीतीश मिश्रा ने 27 जुलाई 2021 को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई थी। नीतीश मिश्रा ने अपने पत्र में कहा था कि जनप्रतिनिधि सरकार और जनता के बीच सेतु का कार्य करते हैं. बिहार में यह देखा जा रहा है कि जनप्रतिनिधियों के पत्र का जवाब नहीं दिया जा रहा। सांसद-विधायक जिला प्रशासन को अथवा सरकार के पदाधिकारियों को पत्र भेजकर जन समस्या से अवगत कराते हैं या फिर सुझाव देते हैं। महीनों बीत जाने के बाद भी उन समस्याओं का निस्तारण की बात तो दूर पत्र की सूचना भी प्रेषित नहीं किया जाता। ऐसी परिस्थिति में जन समस्याओं के निराकरण के लिए किए गए कार्य की जानकारी जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध नहीं हो पाती है। लिहाजा वे जनता के सामने उत्तर नहीं दे पाते।

विस्तृत गाईडलाइन जारी करे सरकार-नीतीश मिश्रा

भाजपा विधायक ने आगे लिखा था कि भारत सरकार के सभी मंत्रालय में ऐसी व्यवस्था है। देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि भी अगर पत्र व्यवहार करते हैं तो उसका जवाब अवश्य दिया जाता है.  ऐसे में जनप्रतिनिधियों की भावना को देखते हुए पत्र की सूचना एवं कार्यवाही की जानकारी निर्धारित समय में उपलब्ध कराने को लेकर राज्य स्तर पर एडवाइजरी निर्गत करें। साथ ही अनुपालन के संबंध में गाइडलाइन जारी करें.

इसके जवाब में कैबिनेट सचिवालय ने भाजपा के विधायक नीतीश मिश्रा को 19 अगस्त 2021 को जवाब दिया. मंत्रिमंडल सचिवालय के संयुक्त सचिव सुमन कुमार ने इस संबंध में नीतीश मिश्रा को पत्र लिख कर जवाब दिया. पत्र में कहा गया कि मुख्य सचिव ने इस संबंध में 27 जुलाई को ही सरकार-प्रशासन एवं सांसद तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों के बीच सरकारी कार्य व्यवहार में उचित प्रक्रियाओं के अनुपालन के संबंध में दिशा निर्देश दिये हैं. एक बार फिर से अपने अधीनस्थ कार्यालयों के पदाधिकारियों-कर्मचारियों के बीच परिचालित कर इसका अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है.

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