ड्रग रेजिस्टेंट टीबी रोगियों के बेहतर इलाज हेतु नई रणनीति पर हो रहा कार्य
पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी रोगियों के उपचार को लेकर गंभीर है। इस कारण विभाग राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब प्राइवेट सेक्टर द्वारा संचालित चयनित अस्पतालों में भी ड्रग रेजिस्टेंट (डीआर) सेंटर खोलेगा, ताकि वहां ऐसे मरीजों का मुफ्त या सीमित खर्च पर बेहतर उपचार किया जा सके। प्रथम चरण में राज्य के कुछ प्रमुख निजी अस्पतालों से इस संबंध में बात हुई है।
श्री पांडेय ने कहा कि राज्य के प्राइवेट अस्पतालों में ड्रग रेजिस्टेंट टीबी मरीजों का इलाज खर्चीला होता है। इस कारण गरीब तबकों को इलाज में परेशानी होती है। ऐसे में इन अस्पतालों में मुफ्त या सीमित खर्च पर इलाज की सुविधा मुहैया करवायी जाएगी। इससे गरीब और मध्यम आय वर्ग के लोग, जो प्राइवेट में इलाज कराते हैं, उनको बिना परेशानी के निःशुल्क या सीमित खर्च पर जांच के अलावे मार्केट में अनुपलब्ध बेडाक्विलिन एवं डेलामेनिड आदि दवाओं का लाभ मिल सके। डीआर- टीबी संक्रमण का एक भयावह रूप है। इसमें प्रथम-लाइन की प्रमुख दवाएं (रिफाम्पिसिन, आइसोनिआजिड) बेअसर हो जाती हैं। मरीज की समस्याएं जटिल हो जाती हैं एवं ससमय इसका इलाज नहीं किये जाने पर मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
श्री पांडेय ने कहा कि ड्रग रेजिस्टेंट टीबी रोगियों के बेहतर इलाज के लिए विभाग द्वारा नई रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा है। शीघ्र ही इसके लिए एक टेंडर प्रकाशित कर ऐसे अस्पतालों का चयन इलाज के लिए किया जाएगा, जिससे टीबी रोगियों को गंभीर अवस्था से निकालने में और मदद मिलेगी। भारत सरकार के द्वारा निर्गत प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट आफ ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के अनुसार राज्य के जिलों में जिला यक्ष्मा केंद्रों पर डिस्ट्रिक्ट डीआर टीबी सेन्टर तथा 6 मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में नोडल डीआर टीबी सेंटर में निःशुल्क जांच एवं उपचार का प्रावधान है।
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