देश में बिजली की कुल खपत 12,420 करोड़ यूनिट है। कोयला खत्म होने पर आपूर्ति में 33 फीसदी तक की कमी आने की आशंका है। संकट से निपटने के लिएसरकार ने 700 मीट्रिक टन कोयला खपत का अनुमान लगाया है और आपूर्ति के निर्देश दिए हैं।
देश में भी चीन की तरह ही बिजली संकट की आशंका है। विशेषज्ञों ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय व अन्य एजेंसियों की तरफ से जारी कोयला उपलब्धता के आंकड़ों का आकलन कर यह चेतावनी दी है। मंत्रालय की मानें, तो देश के 135 थर्मल पावर संयंत्रों में से 72 के पास महज तीन दिन और बिजली बनाने लायक कोयला बचा है।
ये संयंत्र कुल खपत का 66.35 फीसदी बिजली उत्पादन करते हैं। इस लिहाज से देखें तो 72 संयंत्र बंद होने पर कुल खपत में 33 फीसदी बिजली की कमी हो सकती है। सरकार के अनुसार, कोरोना से पहले अगस्त-सितंबर 2019 में देश में रोजाना 10,660 करोड़ यूनिट बिजली की खपत थी, जो अगस्त-सितंबर 2021 में बढ़कर 12,420 करोड़ यूनिट हो चुकी है।
उस दौरान थर्मल पावर संयंत्रों में कुल खपत का 61.91 फीसदी बिजली उत्पादन हो रहा था। इसके चलते दो साल में इन संयंत्रों में कोयले की खपत भी 18% बढ़ चुकी है।
भारत में 70 फीसदी बिजली कोयले से बनती है। इस संकट की वजह से बिजली के स्पॉट रेट बढ़ गए हैं। देश में कोयले की आपूर्ति एलुमिनियम और स्टील मिल्स को की जा रही है। चीन की तरह भारत भी इन दिनों दो प्रमुख चुनौतियों से जूझ रहा है। देश में कोरोनावायरस में कमी आने के बाद औद्योगिक गतिविधियां बढ़ी हैं और इस वजह से बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। उसके साथ ही देश में स्थानीय स्तर पर कोयले का उत्पादन घटा है। भारत में अपनी जरूरत का तीन चौथाई कोयला अपने स्रोत से ही पूरा किया जाता है। इस साल भारी बारिश की वजह से कोयले की खान में पानी भरा हुआ है और महत्वपूर्ण ट्रांसपोर्ट रूट खराब हो गए हैं।
कोयले के भाव में लगी आग
कोयले से बिजली बनाने वाले प्लांट में ऑपरेटर एक अजीब सी स्थिति का सामना कर रहे हैं। वह घरेलू बाजार में बाजार से कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मोटा प्रीमियम देने को मजबूर हैं। अगर उन्हें स्थानीय स्रोत से कोयला नहीं मिला तो वह समुद्र किनारे मौजूद कोल मार्केट में जा रहे हैं जहां कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं।
बिजली के बढ़ेंगे रेट!
भारत में केंद्र सरकार पहले ही गाइडलाइंस बनाने की कोशिश कर रही है जिससे कि पावर स्टेशन के लिए आदर्श स्थितियां बनाई जाए और उनका कामकाज सही तरीके से चल सके। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के डायरेक्टर (इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवाइजरी) प्रणव मास्टर ने कहा, “जब तक कोयले की आपूर्ति में स्थिरता नहीं आती तब तक हमें देश के कई हिस्से में बिजली का संकट देखना पड़ सकता है। यह भी संभव है कि ग्राहकों को अब बिजली के लिए अधिक पैसे चुकाने के लिए कहा जाए।”
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