चालीस पार की औरत का प्यार
: (कनक लता चौधरी) कितना तेज़, कितना उत्कट, कितना गहन होता है प्यार, चालीस पार का… और तब रह जाते हैं उसके पास सिर्फ और सिर्फ वही सच्चे, रिश्ते जिन्हें वो ढूंढा करती रही थी ताउम्र अब उसे ज़रूरत नहीं रहती किसी ख़ास पर्देदारी की, अब वो कह सकती है अपनी हर बात बिना किसी
हाल ही की टिप्पणियाँ