सावन का पवित्र महीना इस वर्ष 14 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की पूजा के दौरान कथा का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मुख्य बातें
- 14 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन का महीना।
- 18 जुलाई को पड़ रहा है सावन का पहला सोमवार।
- भगवान शिव की पूजा में जरूर करें इन कथाओं का पाठ।
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को सावन का महीना बेहद प्रिय है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है जिसमें भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। वर्ष 2022 में सावन का महीना 14 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई के दिन पड़ने वाला है। जो भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करता है और उनकी तपस्या में लीन रहता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं तथा उसे जीवन में हमेशा सफलता हाथ लगती है। इसके साथ यह भी कहा जाता है कि अविवाहित कन्याओं के लिए भी सावन में व्रत करना फलदाई होता है। माना जाता है कि सावन में भगवान शिव की पूजा करने के दौरान पौराणिक कथाओं का पाठ अवश्य करना चाहिए। जो भक्त भगवान शिव की पौराणिक कथा का पाठ करता है उसे व्रत का पूरा फल मिलता है।
वर्ष 2022 में सावन की तिथि
सावन 2022 प्रारंभ: 14 जुलाई 2022, गुरुवार
सावन का पहला सोमवार- 18 जुलाई 2022
सावन का आखिरी सोमवार- 8 अगस्त 2022
सावन 2022 का समापन- 12 अगस्त 2022, शुक्रवार
भगवान शिव की पूजा में करें इन पौराणिक कथाओं का पाठ
कैसे शुरू हुई कांवड़ की परंपरा?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कांवड़ की परंपरा शुरू करने वाले भगवान परशुराम थे। कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान परशुराम सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा आराधना किया करते थे। वह कांवड़ में जल भरकर शिव मंदिर तक यात्रा करते थे और शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के बाद भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करते थे। भगवान शिव को सावन का महीना और सावन सोमवार बेहद प्रिय है इसीलिए सावन के महीने में सोमवार का व्रत करना बहुत लाभदायक माना गया है। कहा जाता है कि भगवान परशुराम की वजह से ही भगवान शिव की पूजा और उनका व्रत शु भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना?
एक और कथा के मुताबिक, भगवान शिव ने सनत कुमारों को स्वयं यह बताया था कि उन्हें सावन का महीना क्यों प्रिय है और इस महीने में उनकी पूजा करना क्यों लाभदायक है। जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से सावन के महीने की महिमा पूछी तब भगवान शिव ने यह कहा कि देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में शरीर का त्याग किया था। देवी सती ने यह संकल्प लिया था कि वह हर जन्म भगवान शिव से ही विवाह करेंगी। अगले जन्म देवी सती का पार्वती के रूप में जन्म हुआ था। पार्वती ने सावन के महीने में ही भगवान शिव को पाने के लिए कड़ी तपस्या की थी। जिसकी वजह से उन्हें भगवान शिव मिले थे और उन्होंने सुखी जीवन व्यतीत किया था। तब से ही भगवान शिव के लिए सावन का महीना बेहद प्रिय हो गया।
रू हुआ था।
हाल ही की टिप्पणियाँ