सत्ता संरक्षित भ्रष्टाचार की वजह से हो रहा पेपर लीक – नेता प्रतिपक्ष
बीपीएससी और बीएसएससी पेपर लीक की हो सीबीआई जांच – विजय कुमार सिन्हा
बिहार में बीएसएससी परीक्षा के प्रश्न पत्र फिर से लीक हो गये है। जिसकी जांच आर्थिक अपराध इकाई को सौंप दी गई है। इस मामले में गुरुवार को एक गिरफ्तारी भी हुई है और इसके तार मोतिहारी से जोड़े जा रहे हैं। इन सबके बीच परीक्षार्थियों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। इस परीक्षा को रद्द करने की मांग भी तेज हो गयी है। इधर इस मामले पर बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है और कहा कि बीएसएससी परीक्षा सत्ता संरक्षित भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी है। उन्होंने बार-बार लीक हो रहे प्रश्न पत्र को बिहार की प्रतिभा का अपमान बताया और कहा कि इससे प्रदेश की प्रतिष्ठा भी धूमिल होती है।
नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि हमारी कोशिशों की वजह से देश भर में बिहार का मान-सम्मान बढ़ा था लेकिन महागठबंधन की सरकार में प्रदेश फिर से नब्बे के दशक में जाता दिख रहा है। यह सरकार हमारे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। यह होनहार युवा इन परीक्षाओं के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। जिसका फल यह सरकार पेपर लीक करवा कर देती है। श्री सिन्हा ने मांग करते हुए कहा कि अगर इस सरकार का दिल साफ है तो बीपीएससी और बीएसएससी पेपर लीक की सीबीआई जांच करायी जाये।
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि सरकार के संरक्षण में यह सारा खेल चल रहा है। श्री सिन्हा ने कहा कि चाहे बीएसएससी का मामला हो या बीपीएससी का हर जगह हस्तिनापुर के गुलाम बैठे हुए हैं। किसी खास की कृपा से लंबे समय तक आयोग में अधिकारी-कर्मचारी एक ही जगह पर बैठे हुए हैं, जो मिलकर प्रतिभा का गला घोट रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसमें संलिप्त नहीं है तो सरकार को आगे बढ़ कर सीबीआई जांच करानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अगर प्रदेश सरकार सीबीआई जांच कराने में टाल मटोल करती है तो इसे सत्ता संपोषित भ्रष्टाचार समझा जायेगा। श्री सिन्हा ने कहा कि छात्र हित में सरकार को लीपापोती छोड़ मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिये।
वहीं तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए श्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि युवाओं का हितैसी बनने का ढोंग करने वाले अभी चुप क्यों हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के युवा अब इन्हें अच्छी तरह से समझ चुके हैं। युवाओं ने बीपीएससी पेपर लीक कांड के दौरान ही तेजस्वी यादव का असल चेहरा देख लिया था जब उन्होंने विपक्ष में रहते हुए हर अभ्यर्थी के लिए पांच हजार रूपए हर्जाने की मांग की थी और चोर दरवाजे से सरकार में आते हुए मौन साध लिया था।
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