मंत्री और पूर्व मंत्री के बीच तलाक, 12 साल पहले हुई थी शादी, जानिए कैसे टूटा रिश्ता

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लखनऊ. यूपी सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और पूर्व मंत्री स्वाति सिंह का रिश्ता तलाक के साथ समाप्त हो गया. फैमिली कोर्ट लखनऊ के अपर प्रधान न्यायाधीश देवेंद्र नाथ सिंह ने 2001 में हुए दोनों के विवाह को खत्म मानते हुए फैसला सुनाया. 22 साल पहले जिस रिश्ते की शुरुआत प्रेम की बुनियाद पर हुई थी, अब रिश्ते की डोर टूट गई है.

बता दें कि बीते वर्ष पारिवारिक न्यायालय में वाद दाखिल किया था. इसमें साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि बीते चार वर्षों से पति से अलग रह रही है. दोनों के बीच कोई वैवाहिक रिश्ता नहीं है. प्रतिवादी के अदालत में उपस्थित न होने पर कोर्ट ने वाद की कार्यवाही को एक पक्षीय रूप से सुना. इसमें वादिनी के साक्ष्यों से सहमत होने के बाद तलाक को मंजूरी प्रदान की.

पूर्व मंत्री स्वाति सिंह ने इससे पहले साल 2012 में अर्जी दाखिल की थी. लेकिन ये अर्जी उनकी गैरहाजिरी के कारन अदालत ने खारिज कर दी थी. मंत्री दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह के बीच रिश्ते की बुनियाद अखिल भारीतय विद्यार्थी परिषद से पड़ी. कहा जाता है कि स्वाति सिंह इलाहाबाद में एमबीए की पढ़ाई कर रही थी और दयाशंकर सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीती में सक्रीय थे. परिषद के कार्यक्रमों में दोनों का मेलजोल बढ़ा.

बता दें कि दोनों बलिया के रहने वाले थे. इसलिए उनके रिश्ते और प्रगाढ़ हो गए. मुलाकात के कुछ समय बाद ही दोनों शादी के बंधन में बंध गए. बाद में स्वाति सिंह ने लखनऊ विश्विद्यालय में पीएचडी में प्रवेश लिया और साथ में पढ़ने लगी. उस समय दयाशंकर सिंह से जुड़े छात्रों और परिषद के कार्यकर्ताओं के बीच भैया-भाभी का संबंध मधुर स्मृतियों वाला रहा. बाद में दोनों के बीच कई बार तल्खियों की बात भी लोगों को सुनाई दी, लेकिन सब यही चाहते रहे कि रिश्ते की डोर जुड़ी रहे.

वरिष्ठ अधिवक्ता पदमकीर्ति ने बताया कि स्वाति सिंह ने मार्च 2022 में अदालत में अर्जी देकर केस दोबारा शुरू करने की अपील की. हालांकि उस अर्जी को भी वापस लेते हुए नई याचिका दायर की गई थी. इसके बाद स्वाति सिंह ने बीते पारिवारिक न्यायालय में वाद दाखिल करते हुए इसमें साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा था कि बीते चार वर्षों से पति से अलग रह रही हैं. दोनों के बीच कोई वैवाहिक रिश्ता नहीं है. प्रतिवादी के अदालत में उपस्थित न होने पर कोर्ट ने वाद की कार्यवाही को एक पक्षीय रूप से सुना. इसमें वादिनी के साक्ष्यों से सहमत होने के बाद तलाक को मंजूरी प्रदान की.

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