पटना, 13 अप्रैल : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार लगातार महंगाई के मोर्चे पर काम कर रही है। महंगाई की वजह से आमजन प्रभावित न हो, इसको लेकर सरकार काम कर रही है। महंगाई किसी भी वजह से बढ़े, उसे खत्म करने की कोशिश लगातार राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। विश्व में आर्थिक मंदी के बादल और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जहां विश्व की महाशक्तियां महंगाई से निपटने में कामयाब नहीं हो पा रही हैं। जरूरी सामग्रियों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से महंगाई को काबू में रखने के लिए तमाम जरूरी बिंदुओं को चिन्हित कर कार्य किया जा रहा है। इस संबंध में उन्होंने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी स्वयं महंगाई के मुद्दे को लेकर संवेदनशील रहते हैं, इस कारण इसे नियंत्रित करने में सफलता मिली है।
उन्होंने बताया कि देश में महंगाई के मोर्चे पर राहत मिली है। इसके पीछे तेल की कीमतों को न बढ़ने देना है। केंद्र सरकार के प्रयासों का परिणाम ही है कि खुदरा मुद्रास्फीति की दर मार्च महीने में 5.66 फीसदी पर पहुंच गई है। पिछले 15 माह में यह दर सबसे कम है। यानी, रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक परिदृश्य के बीच बनी स्थिति से देश अब आगे निकल रहा है। भाजपा नेता ने कहा कि हाल के दिनों में खाने-पीने के सामान की कीमतों में कमी आई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मुद्रास्फीति को लेकर 6 फीसदी तक को संतोषजनक की श्रेणी में रखा है। मार्च माह में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 5.66 फीसदी पर पहुंच गई है।
श्री अरविन्द ने कहा है कि उन्होंने कहा कि खाने-पीने के सामान, दूध, अनाज और फलों के दामों को नियंत्रित करने में कामयाबी मिली है। यह मोदी सरकार की जननीति का परिणाम है। लेकिन, विपक्ष हर मुद्दे में अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश करता दिख रहा है। मुद्दे नहीं मिल पा रहे तो मुद्दे रचे और गढ़े जा रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार की छवि वैश्विक नेता के तौर पर बनाई है। जिनकी नीतियों की सराहना आज पूरे विश्व में हो रही है। विश्व भारत की तेज गति से विकास और जरूरी मुद्दों से निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को देख रहा है, वह विपक्ष को पच नहीं रहा है। विपक्षी दल अपने पार्टी के भीतर के मुद्दों को सुलझा नहीं पा रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए बेचैन दिख रहे।
उन्होंने कहा कि बिहार के मुद्दों को सुलझाने में नाकाम रहने के बाद आजकल मुख्यमंत्री दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं। नीतीश कुमार के कार्यकाल को देखेंगे तो कई मुद्दे सामने आ जाएंगे। शराबबंदी को लागू कर दिया, लेकिन आज भी प्रदेश में शराब को बंद कराने में वे कामयाब नहीं हो पाए हैं। इस चक्कर में प्रदेश में कानून व्यवस्था की हालत खराब हो चुकी है। धार्मिक आयोजन बिना तनाव के संपन्न कराने में सफल नहीं हो पा रहे। महागठबंधन की तुष्टिकरण नीति ने प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी को परेशानी में डाल दिया है। प्रदेश में विकास के कार्यों को पूरा कराने में असफल रहे तो अब दिल्ली दिख रहा है। उन्हें शायद पता नहीं, प्रधानमंत्री पद की कोई वैकेंसी अभी है ही नहीं। मुख्यमंत्री जितनी जल्दी इस बात को समझ कर प्रदेश के लोगों के हित में फैसला लेना शुरू करें, उतना प्रदेशवासियों के लिए बेहतर होगा।
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