पटना बैठक से ‘मिशन 2024′ का बिगुल फूंकेंगे विपक्षी दल, केंद्र सरकार के खिलाफ मजबूत गठन की बनाएंगे रणनीति

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी के नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी

पटना: आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के उद्देश्य से देश के प्रमुख विपक्षी दलों के शीर्ष नेता शुक्रवार को यहां मंथन करेंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी मोर्चा के गठन की रणनीति बनाएंगे। मंथन के दौरान नेतृत्व संबंधी सवालों को दरकिनार कर साझा मुकाबले की रणनीति पर ध्यान केंद्रित की जाएगी।

नीतीश और तेजस्वी कर रहे बैठक की मेजबानी
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी के नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के विपक्षी दलों की होने वाली इस पहली उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेने की उम्मीद है। बैठक की मेजबानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक को नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार का मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकजुटता की शुरुआत के रूप में देखा जा सकता है और इसमें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक आधारभूत रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हालांकि इस दौरान फिलहाल के लिए सीटों के बंटवारे और नेतृत्व संबंधी सवालों को नजरअंदाज किया जाएगा।

मणिपुर हिंसा में केंद्र की नाकामी पर चर्चा किए जाने की संभावना
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘‘यह तो बस शुरुआत है। विचारों का मिलना महत्वपूर्ण है। इस वक्त चुनावी रणनीति, नेतृत्व संबंधी सवाल और सीटों के बंटवारे पर चर्चा होने की संभावना नहीं है।” उन्होंने कहा कि भाजपा को घेरने के लिए विपक्षी दल जिन मुद्दों को उठाएंगे, वे इस बैठक का शीर्ष एजेंडा होंगे और इस संदर्भ में मणिपुर हिंसा तथा इसमें केंद्र की कथित नाकामी पर चर्चा किए जाने की संभावना है। बैठक में केजरीवाल के राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा के लिए जोर देने पर निगाहें टिकी होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह केंद्र सरकार द्वारा इस अध्यादेश को संसद में पेश किए जाने पर ‘आप’ का समर्थन करेगी या नहीं।

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