विपक्षी एकता की बैठक में नेताओं के उदास और भयभीत चेहरें भविष्य की विफलता के संकेत- विजय कुमार सिन्हा

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व्यक्तिगत स्वार्थ और महात्वकांक्षा के कारण ही नीतीश कुमार द्वारा बैठक की कवायद, परिवारवादी एवं भ्रष्ट्राचारियों में मोदी के नाम की दहशत, बैठक के खर्च को सार्वजनिक करे सरकार,

पटना 23 जून 2023
भाजपा विधानमंडल दल के नेता श्री विजय कुमार सिन्हा ने विपक्षी एकता की बैठक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि बैठक में नेताओं के उदास, भयभीत एवं उत्साह विहीन चेहरे यह बताने के लिए काफी हैं कि विपक्षी एकता आकार लेने से पूर्व ही धराशायी होने वाला है।साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल, भगबंत मान औऱ स्टालिन तीनों मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति यह दर्शाता है कि शुरू होने से पहले एकता की गाड़ी की हवा निकल गई।
श्री सिन्हा ने कहा कि विपक्षी दलों और नेताओं में विरोधाभास एवं एकजुटता का अभाव इस बैठक में दिख रहा था। इनके चेहरे पर न तो मुस्कराहट थी न ही उमंग था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत स्वार्थ और महात्वकांक्षा के कारण इस बैठक की कवायद की है लेकिन उनका मकसद इस जन्म में पूरा होने वाला नहीं है।
श्री सिन्हा ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2022में लाल किला से देश को परिवारवादीएवं भष्ट्राचारी राजनीतिक दलों को उखाड़ फेकने का संदेश देने के बाद ये सभी दहशत में है। अब इनका एकमात्र लक्ष्य अपने परिवार को जेल जाने से बचाना और भष्ट्राचार द्वारा अर्जित अकूत धन की रक्षा करना है। लेकिन ये कितना भी प्रयास कर लें, इनका मंसूबा सफल नहीं होगा।
श्री सिन्हा ने कहा कि इस राजनीतिक बैठक के लिए राज्य सरकार ने अपना खजाना खोल दिया था। महागठबंधन में शामिल सभी दलों को अपनी अपनी पार्टी के फंड से यह इन्तजाम करना चाहिये था। राज्य सरकार इस बैठक में सरकारी खजाने से व्यय लोकधन का आंकड़ा सार्वजनिक करे।
श्री सिन्हा ने कहा कि इस बैठक के बाद बिहार में राजद और जदयू का शीत युद्ध अब सार्वजनिक होने वाला है। सरकार में सबसे बड़ा दल रहने के बावजूद राजद को कांग्रेस से कम आँका जा रहा है। नीतीश कुमार राजद को कई बार धोखा दे चुके हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि सभी विपक्षी नेताओं ने पटना पहुँचते ही लालू प्रसाद के पास हाजिरी दी। सजायाफ्ता लालू जी ही देश के इन नेताओं के रोल मोडल हैं, नीतीश कुमार को किसी नेता के द्वारा कोई भाव नहीं दिया गया। लालू जी की योजना के तहत इन्हें संयोजक बनाने की बात हो रही है ताकि बिहार की गद्दी इनके पुत्र को सौपकर फिर से बिहार में जंगल राज औऱ और गुंडाराज स्थायी रूप से कायम हो सके।

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