बिहार के समस्तीपुर जिले में नागपंचमी (Nagpanchami) के अवसर पर शुक्रवार को जगह-जगह सांपों का मेला लगा। पारंपरिक रूप से लोगों ने विषहर स्थान में आस्था का सांप चढ़ाते हुए नाग की पूजा किया।
समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर जिले में नागपंचमी (Nagpanchami) के अवसर पर शुक्रवार को सांपों का मेला लगा। पारंपरिक रूप से लोगों ने विषहर स्थान में आस्था का सांप चढ़ाते हुए नाग की पूजा की। स्थानीय लोगों का दावा है कि भगत तंत्र-मंत्र के जरिए विषैले से विषैले सांपों का जहर निकाल देते हैं।
विषैले सांप के साथ लोग करते रहे प्रदर्शन
इस दौरान भगत राम कुमार सिंह ने माता विषहरी का नाम लेते हुए मंदिर के गहवर से 5 दर्जन से अधिक सांप निकाले। वहीं सांप को पकड़कर भगत ने घंटों विषहरी माता का नाम लेते हुए विषधरों के साथ करतब दिखाए। इसके बाद सैकड़ों की संख्या में हाथ में सांप लिए हुए सभी बूढ़ी गंडक नदी के सिंघिया घाट की ओर चले। इस दौरान नदी के घाट पर मौजूद हज़ारों भक्त नागराज व विषधर माता के नाम का जयकारा लगाते रहे। भगत ने जितनी बार नदी में डुबकी लगाई, उतनी बार एक साथ 2-4 सांप हाथों से निकालकर श्रद्धालुओं के हवाले किया। इसके पश्चात सारे सांप लेकर भगत मंदिर की ओर वापस लौट गए।
वर्षों से लगता आ रहा है सांपों का मेला
वहीं, सिंघीयघाट पर नाग पंचमी की पूजा व मेला को लेकर घंटो भक्तिमय माहौल बना रहा। बताया जाता है कि सिंघिया घाट के पास बूढ़ी गंडक नदी किनारे वर्षों से सांपों का मेला लगता है। मेले में कोई सांप को कुछ खिलाते हुए दिख जाएगा और कोई सांपों के साथ खेलते हुए दिख जाएगा। कुछ देर बाद इन सांपों को दूध पिलाकर मन्नत मांगने के बाद जंगल में छोड़ दिया जाता है। नागपंचमी के दिन सांपों को पकड़ने की प्रथा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। स्थानीय लोगों का दावा है कि बरसों से चले आ रहे इस मेले में आज तक किसी को भी सांप ने नहीं काटा।
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