पारस के साथ बिहार में दलितों और पासवान की निर्णायक ताकत- श्रवण अग्रवाल

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राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने कहा की बिहार में दलितों और पासवान समुदाय की निर्णायक ताकत पूरी तरह से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के साथ है। पार्टी संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार एवं देश में लोक जनशक्ति पार्टी और दलित सेना के अधिकांश नेताओं और कार्यकर्ताओं और पार्टी के सभी सांसदों ने पारस के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करते हुए उनको ही रामविलास पासवान का उत्तराधिकारी माना था। राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि रामविलास पासवान ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पशुपति कुमार पारस को हाजीपुर से चुनाव लड़ाकर विधिवत रूप से हाजीपुर की जनता का प्रतिनिधित्व करने का उत्तराधिकार पशुपति पारस को सौंप दिया था।

राष्ट्रीय प्रवक्ता अग्रवाल ने आगे कहा कि 2014 में लोकसभा चुनाव के समय भाजपा और एनडीए गठबंधन के साथ जाने का फैसला पशुपति कुमार पारस का ही था, उस समय स्वर्गीय रामविलास पासवान ने पशुपति कुमार पारस को ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से बात करने के लिए अधिकृत किया था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ पशुपति पारस के वार्ता के बाद लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए में शामिल हुई थी, तो उस समय संसदीय बोर्ड की बैठक में चिराग पासवान ने पशुपति पारस के एनडीए में शामिल होने के फैसले का पुरजोर विरोध किया था। चिराग पासवान ने संसदीय बोर्ड की बैठक में इस बात पर जोर दिया था की पार्टी को यूपीए गठबंधन के साथ ही बने रहना चाहिए।

उस समय से लेकर आज तक पशुपति कुमार पारस ने हमेशा इस बात को मजबूती से कहा है कि हम 100% एनडीए गठबंधन के साथ है और हमारी पार्टी और हम जब तक राजनीति में रहेंगे भारतीय जनता पार्टी और एनडीए गठबंधन में ही बने रहेंगे। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय भी जब पशुपति पारस बिहार लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे तो उस समय भी पारस और बिहार पार्टी के सभी नेताओं और सांसदों का यह फैसला था कि हम लोग बिहार विधानसभा का चुनाव भाजपा और एनडीए गठबंधन के साथ ही लड़े, लेकिन इसके ठीक विपरीत पूरी पार्टी के फैसले को दरकिनार करते हुए चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया और चिराग पासवान ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ भी 2020 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने का काम किया और अकेले चुनाव लड़ा,

जिसके कारण बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन और लोक जनशक्ति पार्टी को काफी नुकसान उठाना पड़ा और चिराग के उस समय एकतरफा फैसले का राष्ट्रीय जनता दल को काफी फायदा पहुंचा। चिराग पासवान कभी भी लालू यादव और तेजस्वी यादव के भरष्टचार पर एक शब्द भी नहीं बोलते हैं यहां तक कि वे कभी भी राष्टीय जनता दल के कार्यशैली और राजद के नेताओं के कारगुजारियो पर सवाल उठाने के बजाय लालू यादव को अपना आदर्श और तेजस्वी यादव को अपना छोटा भाई बताते हैं।
आगे राष्ट्रीय प्रवक्ता अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी राष्ट्रहित में बिना किसी शर्त पूरी मजबूती और ईमानदारी के साथ एनडीए गठबंधन के साथ है और 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में चालीसो की चालीस सीट एनडीए गठबंधन जीते, इस संकल्प के साथ राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और दलित सेना के नेता और कार्यकर्ता पूरी तरह से चुनावी अभियान में जुट गए हैं, लेकिन कुछ नेता अपने स्वार्थ की राजनीति को शर्तों के आधार पर साधना चाहते हैं और ऐसे तथाकथित नेता बिहार में महागठबंधन और एनडीए दोनो ही तरफ सौदेबाजी में लगे हुए हैं।

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