आजादी के एक महान वीर योद्धा वकालत छोड़ संग्राम में कूद पड़े ‘दिवाकर बाबू’

89 0

पूरा भारत जब स्वतंत्रता की 75 वीं सालगिरह मना रहा है, पटना ज़िले के बिहटा में ‘दिवाकर बाबू’के घर मातम छाया है.

‘दिवाकर बाबू’और उनके परिवार के लोग बड़ी माँ और दादू की यादें संजोए उस कमरे में बैठे हैं

अविभाजित भारत की आज़ादी की इस योद्धा की ज़िंदगी तो गुमनामी में गुज़री ही, उनकी मौत भी गुमनाम ही रह गई.

13 अगस्त 1942 बिहटा के लिए यादगार दिन है। आजादी की लड़ाई में आज ही के दिन सरपरकफन बांध अमहारा के सेनानी स्वर्गीय दिवाकर शर्मा ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर सरकारी दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया था।

उनके साथ बिहटा सहित बिक्रम, मनेर के आजादी के हजारों दीवाने शामिल थे। बिहटा से इसकी शुरुआत हो चुकी थी। इस दिन को यहां के लोग आज भी नहीं भुला पाते। इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाईकर जब वे इंडिया आये तो उनके सर पर आजादी का जुनून सवार हुआ। वकालत छोड़ स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। 19 अगस्त 1942 की रात भूलने वाली रात नहीं है। 1200 गोरों ने चारों तरफ से हथियार के साथ उनके घरको घेर लिया। किसी सूरत में दिवाकर को गिरफ्तार करने का हुक्म दिया, लेकिन अंग्रेजों को चकमा देते हुए वो किसी तरह कंबल ओढ़ कर वहां से निकल गए। स्वर्गीय दिवाकर शर्मा की पत्नी अमहारा में ही रहती है।13 अगस्त के बारे में बच्चों को उस वीर सेनानी की कहानी सुनाती हैं तो कभी अपने घर को तो कभी उस आजादी के दीवाने की तस्वीर की ओर देख उनकी आंखें भर आती है।

दिवाकर शर्मा अंग्रेजी सता को उखाड़ फेंकने में सबसे अग्रणी रहने वाले अमहरा ग्राम को कौन नहीं जानता। आज से 53 साल पहले इसी ग्राम श्री दिवाकर शर्मा का जन्म हुआ। इनके पिता स्व० श्री रामजी सिंह 1922 के राष्ट्रीय आन्दोलन में ही सम्मिलित हो गये थे। दिवाकर जी ने शिक्षा के प्रत्येक वर्ग को लांघते हुए वकालत की परीक्षा पास की। लेकिन लौह जजीरों में जकड़ी हुई भारत माता की पुकार पर वकालत को तिलांजलि देकर जंगे आजादी में कूद पड़े।

काँग्रेस के दर पुराने कार्यकर्ता को यह ज्ञात है कि 1930 में इन्हीं का मकान राष्ट्रीय युद्ध शिविर के रूप में परिणत किया गया था जिससे क्रुद्ध होकर अंग्रेजी सत्ता ने इनके घर को उजाब डाला स्वतंत्रता संग्राम के अजेय सेनानियों ने इसी धवस्त घर में महीनों तक बड़े पैमाने पर नमक बनाकर नमक कानून को चुनौती देते रहे। बालक दिवाकर ने अपनी आँखों से ही सब कुछ देखा था। कॉलेज में पढ़ते समय ही विद्यार्थी समाज को राष्ट्रीय मोर्चे की ओर ले जाने में इन्होंने बड़ी मेहनत की और इन्हें सफलता भी मिली।

11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय के सामने सर पर कफन लपेट कर जानेवाली भारतीय दीवानों की टोली में दिवाकर आगे थे। 12 अगस्त 1942 को बिहटा की सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई। स्टेशन फूंक डाला गया और रेल के 96 डिब्बों को नष्ट कर दिया गया। युवक दिवाकर का इसमें यथेष्ठ सहयोग था।

19 अगस्त 1942 की वह काली रात आज भी लोगों को याद है जब अमहरा गाँव को 1400 अंग्रेजी सैनिकों ने घेर लिया। 10-1013 राज पर मशीन गनों से लैश गोरे कुछ जुझारू कार्यकर्त्ताओं को गोली मार देने के लिए सर्जक दृष्टि से इधर-उधर देखने लगे। ऐसे ही आतंकमय वातावरण में यह दुःसाहसी युवक अपने वरिष्ठ सहयोगी के साथ एक हरिजन बालक की सहायता से रेंगते हुये फ़ौजी घेरे से बाहर निकल गया।

दिवाकर जी गाँव की मिट्टी को माथे लगाकर निसरपुरा के पश्चिम सोन के किनारे झलास के जंगल को स्वाधीनता की लड़ाई का अड्डा बनाया फरार अवस्था में भी इन्होंने श्री चन्द्रदीप शर्मा तथा श्री केशव प्रसाद भुतपूर्व विधायक के साथ कैम्प जेल से एक को निकाल लाने की योजना बनाई। यह दूसरी बात है कि विश्वासघात के कारण वह योजना असफल हो गई और ये लोग बन्दी बना लिए गये। छात्र एवं युवक आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते रहने के कारण अखिल भारतीय छात्र फेडरेशन का मंत्री बनाया गया और इसी हैसियत से इन्होंने बुखार (रूमानियाँ) में विश्व युवक सम्मेलन में भारतीय युवकों को प्रतिनिधित्व किया। उसी समय इन्होंने रूस, चीन हंगरी, स्वीटजरलैण्ड, ग्रीस, इटली तथा फांस आदि देशों का व्यापक भ्रमण किया।

आजादी के बाद भी किसी पद पर नहीं रहते हुये भी इन्होंने बिक्रम क्षेत्र की काफी सेवा की कोई भी इनके द्वार से निरास नहीं लौटा जिसे जब भी, जहाँ भी सहायता की आवश्यकता हुई इन्हें बुला ले गया।

Related Post

अनकही

Posted by - अगस्त 12, 2021 0
बात साल 2005 की है। नया कॉलेज और नई नई आज़ादी के सतरंगी-चमकीले पंखो की उड़ान बस शुरु ही हुई…

पुस्तक विमोचन और नाट्य प्रदर्शन के साथ संपन्न हुआ प्रेम नाथ खन्ना सम्मान समारोह

Posted by - अगस्त 1, 2023 0
पटना, संवाददाता। 8वें प्रेमनाथ खन्ना स्मृति आदि शक्ति सम्मान समारोह 2023 की तीसरी संध्या लघुकथा के नाम रही I ग्यारह…

वीरों की शहादत

Posted by - जनवरी 31, 2022 0
वीरों की शहादत भी नजर ना आए, जरा सा याद कर लो अपने वायदे जुबान को, गर तुम्हे अपनी जुबां…
Translate »
Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial
LinkedIn
Share
WhatsApp