पटना, 01 सितंबर। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि मानसिक रोगों के उचित इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग दृढ़संकल्पित है।
जिलों से लेकर प्रखंड व पंचायत स्तर तक रोगों के निवारण के लिए जागरूकता फैलायी जा रही है। कोरोना काल से लेकर अब तक कई सार्थक पहल किए गये हैं। कोरोना ने जहां शारीरिक रुप से चुनौतियां उत्पन्न की, वहीं मानसिक बीमारियों को भी न्यौता दिया। इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने उम्मीद कार्यक्रम चलाया, जिसका नतीजा है कि रोगों पर काफी हद तक काबू पाया गया।
श्री पांडेय ने बताया कि सूबे के कोरोना की पहली लहर के समय से ही मानसिक रोगों में बढ़ोतरी हुई। ऐसे लोगों में तनाव, अनिद्रा और घबराहट जैसी परेशानियां उत्पन्न होने लगी। ऐसे में पहली लहर के वक्त से सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा बाधित होने के कारण विभाग ने ऑनलाईन काउंसेलिंग कर ईलाज की रणनीति बनाई। गत वर्ष अप्रेल माह से प्रत्येक जिले में एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया, वहीं एक स्टेट हेल्पलाइन नंबर 104 भी जारी कर लोगों की समस्याओं का ऑनलाइन निदान हुआ। यह नंबर बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की मॉनिटरिंग में कार्यरत रहा। इस नंबर पर आए काल्स के मुताबिक रोग की स्थिति के अनुसार समाधान हुआ। जहां निमहंस बेंगलुरु से दक्ष मानसिक रोग विशेषज्ञों की टीम ने रोगों का निवारण किया। कोरोना की पहली लहर से लेकर अब तक 7,566 लोगों की काउंसेलिंग कर इलाज की गयी।
श्री पांडेय ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े आशा कार्यकर्ता, एएनएम, आशा फैसिलिटेटर समेत अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कर्मियों को भी मानसिक रोगों के इलाज में सेवा देने के लिए ट्रेंड किया गया। इन लोगों ने ग्रामीण सुदूर इलाकों व कस्बों में लोगों को मदद पहुंचायी। नेहरू युवा केंद्र के वॉलिंटियर्स को भी इससे जोड़ा गया और लोगों को मानसिक रोग से लड़ने में मदद प्रदान की गई। स्वास्थ्य विभाग ने साइकोसोशल सपोर्ट, सिग्मा एंड डिस्क्रिमिनेशन को लेकर अवेयरनेस प्रोग्राम भी संचालित किया है। बिहार के 38 जिलों में आशा कार्यकर्ताओं की मदद से जगह-जगह मेंटल हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाया गया। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से साइकोलॉजिकल फस्र्ट एड की व्यवस्था भी की। जिन लोगों में रोगों के लक्षण भयानक देखें गये, उन्हें कोइलवर स्थित मानसिक अस्पताल में उपचार के लिए भी भेजा गया। पूर्व में 38 जिला के मनोचिकित्सकों को बारी-बारी से निमहंस बेंगलुरु में ट्रेनिंग दिया जा चुका है। अब उनको ट्रेनिंग की सुविधा प्रदेश में ही दी जाएगी। इसके लिए पटना एम्स, निमहंस बेंगलुरु व राज्य स्वास्थ्य समिति के बीच ट्रायलेटरल एमओयू साइन किया गया है।
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