दलित मुस्लिम की भी जातिगत जनगणना हो: कमाल अशरफ राईन

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पटना, 1 सितम्बर 2021″जातिगत आधार पर जनगणना” उभरते हुए भारत एवं भारतीय समाज का समस्त विकास के लिए समय की पुकार है। आज पटना में एक प्रेस कान्फ्रेस को सम्बोधित करते हुए ऑल इण्डिया यूनाईटेड मुस्लिम मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रवक्ता कमाल अशरफ राईन ने दलित मुस्लिमों की भी जातिगत जनगणना कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब तक इनकी आबादी का डाटा उपलब्ध नहीं होगा तब तक इन्हें धारा-341 में जगह मिलना मुमकिन नहीं है।

श्री अशरफ ने कहा कि चाहे पार्लियामेन्ट हो या सुप्रीम कोर्ट, केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार, इनके समक्ष जब भी दलित मुस्लिम के अधिकार की बात रखी गई है, मोर्चा को हमेशा दलित मुस्लिम की आबादी का डाटा उपलब्ध कराने के नाम पर टाला गया है। अतः मोर्चा दलित मुस्लिमों की जातीय जनगणना की मांग पर आन्दोलन चलाएगा।

उन्होंने कहा कि 1931 की ब्रिटिश सरकार ने पहली जनगणना जातिगत आधार पर कराई। 1941 में जनगणना हुई ही नहीं और 1951 में जनगणना होने से पहले ही 1948 में जगनणना संशोधन विधेयक आया जिसमें जातीय कॉलम को ही खारिज करवा दिया गया तब से आज तक जातिगत आधार पर जनगणना कराई ही नहीं गयी।

श्री अशरफ ने कहा कि जातिगत आधार पर जनगणना कराने के लिए (Census Act 1948) में संशोधन कर 1931 की तरह जातिवार कॉलम जोड़ना होगा जिसके लिए केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि दलित मुस्लिम तहरीक के संस्थापक व मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डा०एम० एजाज अली ने जब भी दलित मुसलमानों को अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल करने की मांग की हमेशा यही प्रश्न उठता रहा कि इनकी आबादी कितनी है।

मोर्चा के महासचिव मो० मुश्ताक आजाद ने कहा कि मुसलमानों में पाई, जानेवाली दलित बिरादरियाँ मसलन धोबी, नट, बन्जारा, हलालाबोर, मेहता, गी, पाट, भटियारा, मोची, पासी, मंगता, मदारी, मिरासी, खटिक (कंजडा), जुलाहा, आदि का नाम अनुसूचित जाति सूची में मौजूद है लेकिन संविधान की धारा 341 पर 1950 में लगी धार्मिक प्रतिबन्ध के चलते ये जातियाँ अपनी मूल आरक्षण से वंचित है, और देश के मुख्यधारा से आज भी कटे हुए है। इन्हें मुख्यधारा में लाना देश एवं समाजहित के लिए बहुत जरूरी है।

उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. एजाज अली ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखकर अपील की है कि दलित मुग्लिम जातियों की भी जनगणना कराई जाए। मोर्चा के सचिव मो० जहाँगीर आलम ने कहा कि जब आरक्षण के प्रत्येक श्रेणी में उस श्रेणी के मुसलमानों को भी आरक्षण पाने का अधिकार है तो फिर जनगणना भी जातिगत आधार पर किये जाने में किसी वर्ग के सदस्यों को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।प्रेस कान्फ्रेन्स में मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मो. रफीक आलम जमाली, मोट शमशाद आलम, मो० जावेद अनवर उर्फ पण आदि उपस्थित थे।

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