बख्तियारपुर । आस्था, श्रद्धा, विश्वास के केंद्र के रूप में मशहूर है प्रखंड क्षेत्र का प्रसिद्ध जगदंबा मंदिर। कहा जाता है कि यहां आनेवाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना मां जगदंबा की कृपा से अवश्य पूरी हो जाती है। यहां पूजा-अर्चना करनेवाले निःसंतान दंपती की गोद मां की कृपा से भर जाती है। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही मां जगदंबा की उपस्थिति का एहसास भक्तों को होने लगता है। कहा जाता है कि यहां आनेवाले हर भक्तों की मनोकामना मां जगदंबा की कृपा से अवश्य पूरी हो जाती है। वहीं मान्यता है कि मां के दर्शन पूजा से निःसंतान दंपती की गोद जरूर भरती है।
कहां है मंदिर | मां जगदंबा का यह प्रसिद्ध मंदिर बख्तियारपुर प्रखंड के नरौली गांव में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालु पटना बख्तियारपुर रेलखंड के करौटा स्टेशन पर उतर कर स्टेशन से दक्षिण दिशा की ओर फोरलेन से सटे माता का मंदिर है।
इतिहास
मंदिर के इतिहास के बारे में कोई लिखित प्रमाण तो उपलब्ध नहीं है, किंवदंतियों के अनुसार मंदिर में स्थित मां की प्रतिमा हजारों साल पहले की है। पहले भी यहां मंदिर था, जिसे 11वीं सदी में बख्तियार खिलजी की सेना ने ध्वस्त कर दिया था और मां की प्रतिमा को भी तोड़ने का प्रयास किया गया था। वर्तमान में मां जगदंबा की प्रतिमा एक विशाल पीपल के पेड़ की जड़ के कोटर में है।महत्व
मां जगदंबा के इस मंदिर में यूं तो सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता है, वहीं प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन पूजा हेतु यहां पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में भगवान विष्णु, शिव परिवार, श्री हनुमानजी जी, सूर्य देव की प्रतिमाएं स्थापित हैं। वहीं अन्य आकर्षक कलाकृति के साथ ही यहां श्रद्धालुओं के ठहराव एवं शादी विवाह हेतु कमरे उपलब्ध हैं।कैसे पहुंचे मंदिर
बख्तियारपुर के करौटा स्टेशन से एक किमी दक्षिण की ओर एवं बख्तियारपुर फोरलेन से सटे नरौली गांव के दक्षिण में यह मंदिर है। यह पटना से करीब चालीस किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर पहुंचने के लिए आटो व बस की व्यवस्था है।
मंदिर का इतिहास
इस मंदिर में मां जगदंबा की काले पत्थर की प्रतिमा है जो एक पीपल वृक्ष से प्रकट होती प्रतीत होती है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा हजारों वर्ष पुरानी है। कभी यहां मंदिर था। जिसे नालंदा विजय अभियान के दौरान बख्तियार खिलजी ने ध्वस्त कर दिया था।
वर्तमान में मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर भी बना है। तालाब में स्थापित भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी की प्रतिमा के साथ ही यहां भगवान सूर्य, हनुमान एवं भोलेनाथ का अलग-अलग मंदिर है। साथ ही भक्तों के सहयोग से भव्य धर्मशाला का निर्माण भी किया गया है।
नवरात्र पर होती है विशेष भीड़वैसे तो मंदिर में साल भर भक्त दर्शन-पूजन करने आते हैं, मगर नवरात्र में भीड़ काफी बढ़ जाती है। मंगलवार और शनिवार को यहां मेले जैसा दृश्य दिखता है। पूजा-पाठ के लिए काफी भक्तों की भीड़ जुटती है। नवरात्र के दौरान पूरा मंदिर भक्ती गीतों से गूंज उठता है।
बोले पुजारीमंदिर परिसर में भक्तों की पूजा अर्चना हेतु व्यापक स्तर पर व्यवस्था की गई है। यहां महिला एवं पुरुष भक्तों के लिए अलग-अलग कतार में लगकर पूजा-अर्चना करने की व्यवस्था है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से इच्छाएं पूर्ण हों जातीं हैं।
सिद्धार्थ मिश्रा
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