कल से शुरू हो रहे पितृ पक्ष 15 दिनों तक चलेगा, जो कि अश्विन मास की अमावस्यामें 6 अक्टूबर तक चलेंगे.

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पौराणिक ग्रंथों में वर्णित किया गया है कि देवपूजा से पहले जातक को अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। पितरों के प्रसन्न होने पर देवता भी प्रसन्न होते हैं। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में जीवित रहते हुए घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान और मृत्योपरांत श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। इसके पीछे यह मान्यता भी है कि यदि विधिनुसार पितरों का तर्पण न किया जाये तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती और उनकी आत्मा मृत्युलोक में भटकती रहती है। पितृ पक्ष को मनाने का ज्योतिषीय कारण भी है। ज्योतिषशास्त्र में पितृ दोष काफी अहम माना जाता है। जब जातक सफलता के बिल्कुल नजदीक पंहुचकर भी सफलता से वंचित होता हो, संतान उत्पत्ति में परेशानियां आ रही हों, धन हानि हो रही हों तो ज्योतिष शास्त्र पितृदोष से पीड़ित होने की प्रबल संभावनाएं होती हैं। इसलिये पितृदोष से मुक्ति के लिये भी पितरों की शांति आवश्यक मानी जाती है।

अपने पूर्वजों के सम्मान के लिए इन दिनों पंचबलि भोग) लगाया जाया है और साथ ही ब्राह्मण भोज भी कराया जाता है. कहते हैं पितृ पक्ष के दौरान अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो कुछ उपायों को अपनाकर उन्हें दूर किया जा सकता है. अगर किसी व्यक्ति के ऊपर पितृ दोष है तो वे जीवन में उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं, उसके बनते काम बिगड़ने लगते हैं. तरक्की रुक जाती है और जीवन में अशांति बनी रहती है. ऐसे में पितृ दोष को दूर करना जरुरी हो जाता है. इस बार आप भी इन उपायों को कर अपने पितृ दोष के प्रभावों को कम कर सकते हैं.

1. कहते हैं कि श्राद्ध पक्ष में पंचबली भोग लगाना चाहिए. पंचबली भोग में गाय, कौआ, कुत्ता, देव और चीटी आते हैं. इतना ही नहीं 15 दिन तक लगातार कौवों को खाना खिलाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि हमारे पूर्वज कौवों के रूप में धरती पर आते हैं इसलिए ये 15 दिन कौवों को भोजन जरूर कराएं और उसके बाद ब्राह्मण को भोज कराएं.

2. मान्यता है कि अगर कुंडली में पितृ दोष है तो घर की दक्षिण दिशा में पूर्वजों की तस्वीर लगानी चाहिए. इसके साथ ही, आप जब भी घर से बाहर जाएं या किसी शुभ काम के लिए निकलें तो पितरों का आर्शीवाद लेकर निकलें. कहते हैं कि इससे पूर्वजों की कृपा आप पर बनी रहती हैं और धीरे-धीरे पितृ दोष कम होने लगता है.

3. पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों के निधन की तिथि पर ब्राह्मणों को या  जरूरतमंदों का भोजन जरूर करना चाहिए. और उन्हें सम्मान पूर्वक दान-दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए. ब्राह्मणों को भोजन कराते समय याद रखें कि वे पूर्वजों की पसंद का हो और अपने हाथों से बनाया गया हो. इसके साथ ही अपने हाथों से वस्त्र और अन्न का दान करें इससे पितृ दोष कम होता है.

4. श्राद्ध पक्ष के दौरान नियमित रूप से कुत्ता, गाय, कौवा, चिड़ियां आदि को रोटी खिलाएं. साथ हीं, सुबह-शाम कपूर जलाएं और गुड़ में घी मिलाकर उसको धूप दें. ऐसा करने से भी पितृ दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है.

5. कहते हैं कि पितृ दोष से मुक्ति के लिए पीपल और बरगद के पेड़ की नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए. पितृ पक्ष के दौरान दिन के समय जल चढ़ाएं, साथ ही फूल, अक्षत, और काले तिल अर्पित करें. इसके साथ ही पितरों से अपनी गलती की क्षमी मांगते हुए उनसे आर्शीवाद लेना चाहिए. परिवार के हर सदस्य से 10-10 रुपये के सिक्के के लेकर मंदिर में दान करें. अगर आपके घर में कोई बुजुर्ग है तो उनके साथ गुरुवार के दिन जाकर दान करें. पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी.

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