नयनों में करुणा की धार, मैय्या मेरी दुर्गा काली,
भक्तों का करें बेड़ा पार मैय्या मेरी शेरावाली।।
सिंह की करती मातु सवारी,
पल में संकट टारे भारी,
दुखियों की मां दीनदयाला,
कर में खप्पर नयन विशाला।
गले में डाले मुंड माल, मैय्या मेरी ज्योता वाली..
भक्तों का करें बेड़ा पार …।।
महिषासुर का शीश उतारे,
शुंभ निशुंभ को खड़ग से मारे।
रक्तबीज का पान करें मां,
चंडमुंड के प्राण हरे मां।
देवो का करें उद्धार मैय्या मेरी नयना वाली….
भक्तो का करें बेड़ा
पार…
भव सागर से करती पार, मैय्या मेरी पहाड़ा वाली….
नवग्रह की पीड़ा कम करती,
कष्ट सकल मां विश्व के हरती।
संतन की करती रखवाली,
अक्षय वर को देने वाली।
भक्तो का करें बेड़ा……।
जो भी दर पर मां के जाता,
सारे मनवॉछित फल पाता।
मॉ भर देती झोली खाली,
करती है सबकी रखवाली।
दुष्टों का करती संहार मैय्या मेरी खप्पर वाली..
भक्तों का करें बेड़ा पार…..।।
भाग्य के अक्षर डाले माता,
भक्तों की मां भाग्य विधाता।
वरदानों से भरती झोली,
जो भी लगाएं नाम की बोली।
होती हैं मां की जय जयकार मैय्या मेरी मुंडो वाली….
भक्तों का करें बेड़ा पार……
सबकी करती पूरी आशा,
मन में जो भी हो अभिलाषा,
नेह प्रेम बरसाने वाली,
माता दुर्गा लक्ष्मी काली।
दुखियों के भरती भंडार मैय्या मेरी मेहरावाली
भक्तों करें का बेड़ा पार…..।।
अनामिका सिंह अविरल
(कानपुर उत्तर प्रदेश)
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