सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि मां दुर्गा की पूजा व उपासना का पर्व है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि में कलश स्थापना का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। और माता रानी की कृपा से सभी दुख दूर हो जाते हैं।
इस बार षष्ठी तिथि की क्षय हो जाने के कारण नवरात्र 8 दिन का पड़ रहा है एवं पक्ष 14 दिन का पड़ रहा है ।
कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त
7 अक्टूबर गुरुवार को कलश स्थापन के लिए अभिजित मुहूर्त दिन में 06:10 से 09:05 तथा 11:36 बजे से 12:24 बजे का समय शुभ फल कारक होगा ।
आवश्यक में प्रतिपदा उपरांत द्वितीय तिथि में दिन में 3:28 बजे के बाद सूर्यास्त के पूर्व भी कलश स्थापन किया जा सकता है ।क्योंकि चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग नवरात्र आरंभ तथा कलश स्थापन में वर्जित है। उक्त दोनों योग उस दिन भोग कर रहा है।
दुर्गा सप्तशती में ही भगवती ने कहा है जो शरद काल की नवरात्रि में मेरी पूजा आराधना और मेरे चरित्र का पूरा पाठ करता अथवा सुनता है उसे मैं सभी बाधाओं से मुक्त कर धन धनधान्य आदि से संपन्न करती हूं । सप्तमी तिथि में देवी प्रतिमाओं की स्थापना कर त्रि दिवसीय पूजा आराधना पूरे देश को मातृमय में कर देती है। इस वर्ष सप्तमी तिथि मंगलवार 12 अक्टूबर को है । अष्टमी का मान व्रत एवं पूजन तथा महानिशा पूजा के लिए 13 अक्टूबर गुरुवार को होगा। आज ही संधि पूजा रात 11:18 से लेकर 12:06 बजे के बीच की जाएगी । महानवमी 14 अक्टूबर गुरुवार को होगी। नवरात्रि समाप्ति से संबंधित हवन पूजन 14 अक्टूबर गुरुवार को नवमी पर्यंत रात 9:52 तक किया जाएगा । पूर्ण नवरात्र व्रत के पारण दशमी तिथि में 15 अक्टूबर शुक्रवार को प्रातः काल की जाएगी । विजयादशमी का प्रसिद्ध पर्व 15 अक्टूबर शुक्रवार को होगा । असत्य पर सत्य की विजय का पताका फहरायेगा। दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन श्रवण नक्षत्र युक्त दशमी तिथि में 15 अक्टूबर शुक्रवार को किया जाएगा। शुक्रवार की दशमी तिथि में देवी का प्रस्थान अर्थात हाथी पर होगा जो शुभ फलकारी होने के साथ वर्षा भी करा सकता है।
🪴 इस बार ‘डोली’ पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा🪴
इस साल मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आएंगी। देवी भाग्वत पुराण के अनुसार
शशि सूर्य गजाऽरुढ़ा शनि भौम तुरंगमा।
गुरौशुक्रे च दोलायां बुद्धे नावागमिष्यति।।
नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार से होती है तो इसका अर्थ है कि माता हाथी पर सवार होकर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व पर सवार होकर आती हैं। जब नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार से प्रारंभ होते हैं तो इसका अर्थ है कि माता डोली पर सवार होकर आएंगी। बुधवार पड़े तो माता जी का आगमन पालकी से होता है । इस साल नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ हो रहा है।
शारदीय नवरात्रि 2021 तिथियां-
( 1 ) 7 अक्टूबर- प्रतिपदा ( एकं ) मां शैलपुत्री की पूजा
( 2 ) 8 अक्टूबर द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
( 3 ) 9 अक्टूबर तृतीया -मां चंद्रघंटा पूजा
( 4 )10 अक्टूबर चतुर्थी मां कुष्मांडा देवी पूजा
(5)+ (6) 11अक्टूबर पंचमी व षष्ट्टी मां स्कंदमाता व कात्यायनी देवी की पूजा
( 7 ) 12 अक्टूबर सप्तमी मां कालरात्रि की पूजा
( 8 ) 13 अक्टूबर अष्टमी मां महागौरी की पूजा
( 9 )14 अक्टूबर नवमी मां सिद्धिदात्री की पूजा
15 अक्टूबर- दशमी तिथि ( व्रत पारण), विजयादशमी या दशहरा
पं. श्याम किंकर मिश्र
किंकर बाबा आश्रम
175, मानस मार्ग, नेहरू नगर,
पटना – 800013.
हाल ही की टिप्पणियाँ