धनतेरस से शुरू होता है दीपावली पर्व, इस दिन का है महत्व, डॉ० ममतामयी प्रियदर्शिनी

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आज धनतेरस का शुभ दिन है। कहते हैं, आज के दिन कोई धातु खरीदना शुभ माना जाता है। एक किवदंती है कि पुराने ज़माने में एक सोलह साल का हिम नामक राजकुमार था। उसकी जन्मकुंडली में उसे आज के दिन सांप के काटने से मरना लिखा था। उस रात,उसकी नव विवाहिता बीबी, उसके कमरे के दरवाजे पर अपने सारे गहने और बर्तन लेकर बैठ गयी और उसके चारो तरफ दीपक जला कर वो भजन गाती रही। जब सांप के रूप में यम आये तो इतनी चकाचौंध में उनकी आँखे चमक गयी और वो रात भर उसी सोने के ढेर पर बैठकर भजन सुनते रहे, और सुबह वहां से चले गए।इसीलिए आज के दिन हम धातु खरीदते हैं और रात में यम(मौत के देवता) को दीपक जलाकर खुश करते है।  दूसरी किवदंती के अनुसार आज के दिन ही समुद्र मंथन के बाद दुनिया के सबसे बड़े वैद्य धन्वन्तरी समुद्र से बाहर निकले थे। इसीलिए धनतेरस की पूजा होती है।
मुझे तो लगता है दोस्तों , हम जो धातु घर में लाते है, वो वस्तुतः हमें सिखाता है कि हम भी उन्ही के गुणों को आत्मसात करें। जैसे धातु, दुःख की गर्मी हो तो पिघलकर आंसू नहीं बहाता, सुख की अनुभूति हो तो ये फ़ैल कर घमंड पर उतारू नहीं होता और बुरे समय में घबराकर अपना आपा नहीं खोता.l उसी तरह सोना या बर्तन घर में लाने का मतलब इसे खरीदना नहीं इसके गुणों को अपने जीवन में उतारना है। जब हम आज के दिन मिटटी के दीपक जलाकर खुद को सात्विक बना लेते है, उसके बाद ही गणपति हमें बुद्धि से,माँ लक्ष्मी धन से और माँ सरस्वती विद्या से परिपूर्ण करेंगी। दोस्तों मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वो हमारे, आपके जीवन को ऐसे ही अमूल्य धन से नवाजे।
शुभ धनतेरस


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