पटना, 07 नवम्बर 2021 – डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, पिपराकोठी (पूर्वी चंपारण) परिसर में आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह में उप राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू, राज्यपाल श्री फागू चौहान और मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार शामिल हुए।
कार्यक्रम के पूर्व परिसर में स्थापित पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू, राज्यपाल श्री फागू चौहान और मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने श्रद्धांजलि दी।
उप राष्ट्रपति श्री एम० वेंकैया नायडू ने रिमोट के माध्यम से दीनदयाल उपाध्याय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पिपरा कोठी परिसर के प्रशासनिक भवन, गंडकी महिला छात्रावास, पंडित राजकुमार शुक्ल छात्रावास के साथ-साथ स्वदेशी गौ नस्ल का क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्र और देशी गौवंश संरक्षण एवं संवर्द्धन केन्द्र, माधोपुर का भी उद्घाटन किया। उप राष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने दीक्षांत समारोह में 6 छात्र-छात्राओं श्री अभिनव प्रकाश, श्री राजेश कुमार, सुश्री चांदनी कुमारी को विजिटर मेडल, सुश्री स्मिता शर्मा, सुश्री कोमल कीर्ति को चांसलर मेडल तथा आशुतोष कुमार को वाइस चांसलर मेडल प्रदान किया।
उप राष्ट्रपति ने कार्यक्रम के दौरान एक पुस्तिका का भी विमोचन किया उपराष्ट्रपति श्री एम0 वेंकैया नायडू ने दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि आज डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पिपराकोठी परिसर के द्वितीय दीक्षांत समारोह के आयोजन के लिए आप सभी लोगों को बधाई देता हूं और आदरणीय उपराष्ट्रपति जी का समारोह में स्वागत करता हूं। सभी उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं एवं गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को विशेष तौर पर बधाई देता हूं और सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। उन्होंने कहा कि डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2018 में हुई थी। वर्ष 2018 में प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन पूसा में हुआ था। उसमें महामहिम राष्ट्रपति जी के साथ में भी शामिल हुआ था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अमेरिका के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक हेनरी फिप्स ने एग्रीकल्चर रिसर्च संस्थान की स्थापना की थी। फिप्स ऑफ यू०एस०ए० के नाम पर ही पूसा का नामकरण हुआ।
वर्ष 1934 में भूकंप आने के बाद यह संस्थान दिल्ली चला गया और वहां भी इसका नाम पूसा ही रखा गया। वर्ष 1970 में डॉ० राजेंद्र प्रसाद के नाम पर राज्य सरकार द्वारा
राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2007-08 में डॉ० राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनाने की हमलोगों ने पहल की। उस समय के महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली श्री मंगला राय जी से इस पर विचार विमर्श हुआ हमलोगों ने उस समय भी प्रधानमंत्री जी को इस संबंध में पत्र लिखा था। उस समय की सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए कई शर्तों रखीं, जिसे हमलोगों ने स्वीकार किया और अंततोगत्वा वर्ष 2016 में डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
• मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 में जबसे हमें काम करने का मौका मिला है कृषि के क्षेत्र में हमलोगों ने कई कार्य किए हैं। वर्ष 2010 में कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की स्थापना की गयी। वर्ष 2016 में पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। वर्ष 2008 में पहला कृषि रोडमैप, 2012 में दूसरा कृषि रोडमैप और वर्ष 2017 में तीसरा कृषि रोडमैप बनाया गया। कृषि रोडमैप के आधार पर कृषि के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता दोगुनी हुई सब्जी और फल का भी उत्पादन काफी बढ़ा। वर्ष 2012 से कृषि एवं उससे संबद्ध इंस्टीच्यूट में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को 2000 रुपये प्रतिमाह की दर से मदद दी जा रही है। साथ ही उन्हें 8000 रुपए वार्षिक रूप से पुस्तक आदि खर्च के लिए दिया जाता है। सभी छात्र-छात्राओं को हमलोग इसी तरह से सहयोग करते रहेंगे। हमलोगों की इच्छा है कि कृषि के क्षेत्र में वे पढ़ें और आगे बढ़ें. यह देश और राज्य के हित में है। बिहार में करीब 78 प्रतिशत आबादी की निर्भरता कृषि पर है। देश में • आबादी के दृष्टिकोण से बिहार तीसरे स्थान पर और क्षेत्रफल के दृष्टि 12वें स्थान पर है। आबादी नियंत्रण के लिए हमलोग महिलाओं को शिक्षित कर रहे हैं। महिलाओं के शिक्षित होने से प्रजनन दर घटेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम केंद्र में कृषि मंत्री थे तो दुनिया के महान वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक डॉ० नॉर्मन बोरलॉग को वर्ष 2001 में पूसा ले गए थे पूसा में ही बोरलॉग इंस्टीच्यूट की एक शाखा स्थापित की गयी। वर्ष 2016 में हम वहां गए थे, जहां मौसम के अनुकूल किए जा रहे कृषि कार्य को देखा था। बाद में हमलोगों ने जल-जीवन हरियाली अभियान की शुरुआत की। मौसम के अनुकूल कृषि की शुरुआत हमलोगों ने 8 जिलों से किया और बाद में इसे सभी 38 जिलों में लागू किया गया। 11 जिलों में डॉ० राजेंद्र में प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय मौसम के अनुकूल कृषि की देख-रेख कर है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए भी हमलोग कृषकों की सहायता कर रहे हैं। पुआल नहीं जलाने के लिए हमलोग उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार को 5 कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। हमलोग कृषि के कार्य को और आगे बढ़ाते रहेंगे। दीनदयाल उपाध्याय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय की स्थापना हुई है और आज कई चीजों का उद्घाटन भी हुआ है।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में पढ़ाई के लिये ज्यादा से ज्यादा कॉलेज खुले सारण, औरंगाबाद और मधुबनी में कृषि कॉलेज के लिए हमलोगों ने जमीन भी उपलब्ध करा दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी की सरकार में जब हम केंद्रीय कृषि मंत्री थे, उस समय वर्ष 2000 में एग्रीकल्चर पॉलिसी लायी गई अटल जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए और अब प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश और राज्य विकास कर रहा है।
समारोह में उप मुख्यमंत्री श्रीमती रेणु देवी, कृषि मंत्री श्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, गन्ना उद्योग एवं विधि मंत्री श्री प्रमोद कुमार, सांसद एवं पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह, अन्य जनप्रतिनिधिगण, सचिव कृषि, शिक्षा एवं अनुसंधान तथा महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली श्री त्रिलोचन महापात्र, डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो० प्रफुल्ल कुमार मिश्र, डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति श्री रमेश चंद्र श्रीवास्तव, डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ० प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, आयुक्त तिरहुत प्रमंडल श्री मिहिर कुमार, कृषि विभाग के सचिव श्री एन0 सरवन कुमार, पुलिस उप महानिरीक्षक, चंपारण प्रक्षेत्र श्री रविंद्र कुमार, जिलाधिकारी पूर्वी चंपारण श्री कपिल शीर्षत अशोक, पुलिस अधीक्षक श्री नवीन चंद्र झा सहित अन्य पदाधिकारीगण, शिक्षकगण, गणमान्य व्यक्ति एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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