मार्गदर्शक सम्मान सह धरोहर संरक्षण अभियान
जिन्हें हम आजकल सिर्फ सीनियर सिटीजन समझने लगे हैं, वो दरअसल हमारे पूर्वजों और युवा पीढ़ी के बीच के कनेक्टिंग लिंक (संबंधसूत्र) हैं।
ये सम्माननीय बुजुर्ग ही हमारे मार्गदर्शक हैं तथा पूर्वजों के धरोहर, थाती, सभ्यता एवम संस्कृति के संवाहक हैं।
सम्मान जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी प्रेरणा ले सके और अपनी सभ्यता संस्कृति को प्रायोगिक तौर पर समझ सके उपयुक्त बाते डॉ ० ममतामयी प्रियदर्शिनी ने “गंभीर बाबा मंदिर” के प्रांगण में मार्गदर्शक सम्मान आयोजित कार्यक्रम में कही! उनहोंने कहा की बुजुर्ग किसी परिवार, सामाजऔर देश के लिए एक चटान के तरह होते है!
उन्होंने कहा की सामान्यतः दो प्रकार के धरोहरों की बात हमेशा होती है, ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहर, लेकिन मेरा मानना है एक महत्वपूर्ण जीवित धरोहर हमारे बीच हैं, हमारे बुजुर्ग lजो थोड़े नजरंदाज हो रहे हैं।
अतः इसी साल डॉ० ममतमयी प्रियदर्शिनी ने अगस्त क्रांति के दिन, सांकेतिक रूप में बिक्रम विधानसभा में स्थित डिहरी गांव के कैलाश धाम मंदिर परिसर में बुजुर्गों को सम्मानित कर अपने ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहरों को सहेजने और प्रोमोट करने के उद्देश्य से “मार्गदर्शक सम्मान सह धरोहर संरक्षण अभियान” की शुरुआत कर नए रूप में अगस्त क्रांति की शुरुआत किया गया था।
डॉ० ममतामयी प्रियदर्शिनी जी ने कहा कि मार्गदर्शक सम्मान समारोह में हम अपने अभिभवकों यथा समाज के वृद्ध एवं अनुभवजनित प्रबुद्ध एवं सजग लोगों से बातें है और उनकी यादों को समेटते हुए कलमबद्ध करते हैं!
सम्मानित बुजुर्ग: दीनानाथ शर्मा, श्याम बिहारी वर्मा, जमुना जी, नवल सिंह, महामाया सिंह, वरुण सिंह, विजय सिंह, मधेश्वर पंडित, सूर्यलोक शर्मा आर्मी, भोला सिंह, उदय सिंह, सचिता सिंह, रामकिशोर सिंह, सुशील शर्मा, सुधीर शर्मा, साधु साव और अन्य।
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