राष्ट्रीय रोजगार नीति और रोजगार के मुद्दों को लेकर चलाएगी हस्ताक्षर अभियान- आकांक्षा शर्मा , रीजनल कोर्डिनेटर
देश की बात फाउंडेशन ‘ जो एक वैचारिक संगठन है , जिसके संस्थापक गोपाल राय जी हैं, जो दिल्ली सरकार में मंत्री और सामाजिक , राजनीतिक एक्टिविस्ट हैं । देश की बात फाउंडेशन सकारात्मक राष्ट्रवाद ‘ की विचारधारा के आधार पर राष्ट्र निर्माण के लिए काम कर रहा है , सकारात्मक राष्ट्रवाद का मानना है , बेरोज़गारी की समस्या का समाधान ‘ राष्ट्रीय रोज़गार नीति ‘ है ।देश की बात संस्थापक गोपाल राय जी के शब्दों में’ सकारात्मक राष्ट्रवाद ‘ के अनुसार रोज़गार सिर्फ़ आर्थिक मसला नहीं है , बल्कि राष्ट्र निर्माण में सबकी हिस्सेदारी का भी मसला है ।
देश की बात फाउंडेशन ने 20 नवंबर को कालिदास रंगालय में रोजगार संवाद किया । देश की बात फाउंडेशन के रीजनल कोर्डिनेटर प्रीति सिंह ने बताया इसमें सकारात्मक राष्ट्रवाद की समान विचारधारा वाले विश्वविद्यालय एवं कॉलेज के छात्र छात्राओं तथा सभी छात्र संगठन , युवा संगठन , अध्यापक संगठन , महिला संगठन , श्रमिक संगठन , किसान संगठन , व्यापारी संगठन , N.G.O. , R.W.A. एवं अन्य संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए ।
रोजगार संवाद में सकारात्मक राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय रोजगार नीति पर चर्चा किया गया । सकारात्मक राष्ट्रवाद – मोहब्बत के आधार पर देश को जोड़ने और देश में सबके हिस्सेदारी और साझेदारी की बात करता है ।
बेरोजगारी की समस्या और समाधान- राष्ट्रीय रोजगार नीति पर देश की बात फाउंडेशन सर्किल सेंट्रल कोर्डिनेटर भानु भारतीय ने कहा – आज देश बेरोज़गारी के भयावह संकट से जूझ रहा है ।
बड़ी – बड़ी डिग्रियां लेकर भी युवा आज काम के लिए दर – दर भटक रहे हैं । रोज़गार का नया सृजन करना तो दूर देश भर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वेकैंसी पर भर्ती नहीं की जा रही है , जहां भर्ती हो भी रही है , ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है , जिस काम करने के बावजूद भी लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है । प्राइवेट सेक्टर में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होने की जगह छटनी की तलवार लोगों के सर मंडरा रही है । बेरोज़गारी की समस्या के समाधान के लिए भारत में आज़ादी के बाद जिस तरह की नीतियां बनाने की ज़रूरत थी , हमारी अब तक की सरकारों ने वैसी नीतियां नहीं बनाई ।
यही वजह है कि आज़ादी के सात दशक से ज्यादा वक्त गुज़र जाने के बाद भी हमारे देश में ‘ राष्ट्रीय रोज़गार नीति ‘ नहीं बन पाई है । पहले से ही बेरोज़गारी की मार झेल रही हमारी अर्थव्यवस्था को कोरोना ने और अधिक चिंताजनक स्थिति में पहुंचा दिया । आज बेरोज़गारी की समस्या ना सिर्फ़ गांव के लोगो की है बल्कि जो लोग बड़े – बड़े शहरों में रहते हैं , उनकी भी समस्या है । चाहे कोई किसी भी जाति में पैदा हुआ हो , किसी भी धर्म को मानने वाला हो , किसी भी भाषा को बोलने वाला हो , चाहे कोई किसी भी क्षेत्र का रहने वाला हो चाहे महिला हो , पुरुष हो या फिर थर्ड जेंडर , कोई भी बेरोज़गारी की इस मार से नहीं बच पाया है । आज देश को एक राष्ट्रीय रोजगार नीति की जरूरत है जो भारत में सभी युवा के रोजगार की गारंटी कर सके । देश की बात फाउंडेशन ने राष्ट्रीय रोजगार नीति का मसौदा तैयार कर लिया है ।
रोजगार संवाद में अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी । देश की बात फाउंडेशन के रीजनल कोर्डिनेटर आकांक्षा शर्मा ने कहा कि देश की बात फाउंडेशन राष्ट्रीय रोजगार नीति और रोजगार के मुद्दों को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाएगी ।
देश की बात फाउंडेशन के सेंट्रल कोर्डिनेटर विजय माथुर ने कहा कि राष्ट्रीय रोजगार नीति और रोजगार के मुद्दों को लेकर 20 दिसंबर को बिहार के सभी जिलों में प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जाएगा ।
देश की बात फाउंडेशन के रोजगार संवाद कार्यक्रम के अंत में देश की बात के रीजनल को कोर्डिनेटर संध्या रानी जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया । देश की बात फाउंडेशन के बैनर तले रोजगार संवाद में देश की बात फाउंडेशन के युवा के अलावा अन्य संगठनों से प्रबुद्ध लोगों में से संजीव श्रीवास्तव, स्टार्टअप इनिशिएटिव, इश्तियाक अहमद ग्रीन पीस , एडवोकेट इंदिरा शर्मा, बब्लू प्रकाश जी , सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता, मधुबाला प्रोफेसर, शबनम ठाकुर , आभा सहाय, मानसी सिंह, शिखा वर्मा, गोपाल शर्मा, सुनील झा, प्रदीप उपाध्याय, अमित कुमार जी , मिथलेश जी, पुरुषोत्तम श्रीवास्तव जी एवं 80 से ज्यादा साथियों ने अपनी भागीदारी की ।
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