बक्सर की अनूठी परंपरा है लगता है पंचकोस परिक्रमा, ‘लिट्टी-चोखा’ का अनोखा मेला

120 0

बक्सर । देश के हर हिस्से में अपनी एक अलग मान्यता और परंपरा का पालन होता है। बक्सर में हर साल आयोजित होने वाला पंचकोसी परिक्रमा मेला अपने आप में अनूठा मेला है, जहां पांच दिनों में पांच कोस की दूरी तय कर पांच अलग स्थानों पर पड़ाव डाले जाते हैं। मेले में हर जगह अलग-अलग प्रकार के भोजन ग्रहण करने की परंपरा का पालन किया जाता है।

वहां रात्रि विश्राम कर उन्होंने सबका आशीर्वाद ग्रहण किया था। तब ऋषियों द्वारा श्रीराम के स्वागत में जिन भोज्य पदार्थों को खिलाया गया था उसी का अनुसरण करते आज भी पांचों स्थानों पर प्रसाद का वितरण होता है। मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से आयोजित होने वाला यह मेला इस बार 27 नवम्बर से प्रारंभ हो रहा है। पंचकोस के पांच पड़ाव

भोजपुर इलाके के इस प्रिय व्यंजन को इतने बड़े पैमाने पर शायद ही कहीं बनाया जाता होगा. लोग कहते हैं कि अगर आप उस रोज ऐसे ही बक्सर चले जाइये तो आपको कम से कम दस जगह लिट्टी खाना पड़ेगा. लोग पकड़-पकड़ कर आग्रह करके लिट्टी खिलाते हैं. मार्गशीर्ष(अगहन) के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से आयोजित होने वाला यह मेला इस बार पांच दिसम्बर को प्रारंभ हुआ है, जिसका मुख्य यानि पांचवा दिन 9 नवंबर को है.

इस मेले के पीछे कथा है कि भगवान राम विश्वामित्र मुनी के साथ सिद्धाश्रम आए थे. यज्ञ में व्यवधान पैदा करने वाली राक्षसी ताड़का एवं मारीच-सुबाहू को उन्होंने मारा था. इसके बाद इस सिद्ध क्षेत्र में रहने वाले पांच ऋषियों के आश्रम पर वे आर्शीवाद लेने गए. जिन पांच स्थानों पर वे गए. वहां रात्रि विश्राम किया. मुनियों ने उनका स्वागत जो पदार्थ उपलब्ध था, उसे प्रसाद स्वरुप देकर किया. कहा जाता है कि उसी परंपरा के अनुरुप यह मेला यहां आदि काल से अनवरत चलता आ रहा है. और हर पड़ाव का प्रसाद अपने-आप में अनूठा है. कहीं जिलेबी तो कहीं चूड़ा-दही तो कहीं सत्तू मूली.

पंचकोसी मेला व पंचकोसी परिक्रमा का पहला पड़ाव गौतम ऋषि का आश्रम है, जहां उनके श्राप से अहिल्या पाषाण हो गयी थी. उस स्थान का नाम अब अहिरौली है. इसे लोग भगवान हनुमान का ननिहाल भी कहते हैं. यहां जब भगवान राम पहुंचे. तो उनके चरण स्पर्श से पत्थर बनी अहिल्या श्राप मुक्त हुई. वैदिक मान्यता के अनुसार अहिल्या की पुत्री का नाम अंजनी था जिनके गर्भ से हनुमान का जन्म हुआ. शहर के एक किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में अहिल्या मंदिर है. जहां मेला लगता है. यहां आने वाले श्रद्धालु पकवान और जलेबी प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं.

इस मेले का दूसरा पड़ाव नदांव में लगता है. जहां कभी नारद मुनी का आश्रम हुआ करता था. आज भी इस गांव में नर्वदेश्वर महादेव का मंदिर और नारद सरोवर विद्यमान है. यहां आने वाले श्रद्धालु खिचड़ी-चोखा बनाकर खाते हैं. ऐसी मान्यता है कि नारद आश्रम में भगवान राम और लक्ष्मण का स्वागत खिचड़ी -चोखा से किया गया था.

तीसरा पड़ाव भभुअर है जहां कभी भार्गव ऋषि का आश्रम हुआ करता था. भगवान द्वारा तीर चलाकर तालाब का निर्माण किया गया था. इस स्थान का नाम अब भभुअर हो गया है. यहां भार्गवेश्वर महादेव का मंदिर है जिसकी पूजा-अर्चना के बाद लोग चूड़ा-दही का प्रसाद ग्रहण करते हैं.

बक्सर शहर के नया बाजार से सटे बड़का नुआंव गांव में चौथा पड़ाव लगता है. जहां उद्दालक मुनी का आश्रम हुआ करता था. यहीं पर माता अंजनी एवं हनुमान जी रहा करते थे. यहां सतुआ मुली का प्रसाद ग्रहण किया जाता है. पंचकोसी परिक्रमा के पांचवें व अंतिम दिन श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान करने के बाद महर्षि विश्वामित्र आश्रम में पहुंच कर पूजा-अर्चना करते है. इसके बाद चरित्रवन में लिट्‌टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण करते है. जहां विश्वामित्र मुनी का आश्रम हुआ करता था.

पंचकोसी के अंतिम दिन बक्सर के घर-घर में लिट्टी-चोखा बनता है. वैसे ज्यादातर लोग चरित्रवन में ही लिट्टी-चोखा बनाकर खाते है. पर जो कोई किसी कारणवश यहां नहीं आ सके, उनके लिए घर पर ही लिट्टी-चोखा बनाया जाता है. लिट्टी चोखा बनाने में शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है. गाय के गोबर से बने उपले की आग से लिट्टी और चोखा को पकाया जाता है.

बता दें कि अन्य पर्व-त्योहारों की तरह वैश्विक महामारी कोविड-19 का साया बक्सर की पंचकोसी परिक्रमा मेला पर भी पड़ गया है. पौराणिक महत्व वाले इस पंचकोसी परिक्रमा को मात्र कोरम के लिए बेहद सादगी के साथ पूरा किया जा रहा है. पंचकोशी परिक्रमा समिति द्वारा बताया गया कि कोविड संक्रमण के खतरे से बचाव को ध्यान में रखते हुए इस साल पंचकोशी परिक्रमा का मात्र कोरम पूरा किया जा रहा है. साधु-संत व श्रद्धालुओं को आमंत्रित नहीं किया गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय व प्रशासन द्वारा जारी गाइड लाइन का अनुपालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग व मॉस्क का उपयोग वहां जाने वाले हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य होगा.

 

 

Related Post

प्रेम नाथ खन्ना आदि शक्ति नाट्य महोत्सव 2022 के उपलक्ष मे संस्था रंग गुरुकुल के द्वारा  जुर्म नाटक का मंचन किया गया.       

Posted by - जुलाई 27, 2022 0
लेखिका :- ममता मेहरोत्रा नाट्य रूपांतरण :- ब्राहमानंद पाण्डेय परिकल्पना और निर्देशन  :- राजवीर गुंजन संस्था :- रंग गुरुकुल                 …

बिहार विधान परिषद् के नवमनोनीत सदस्य डॉ० राजवर्द्धन आजाद के शपथग्रहण समारोह में शामिल हुये मुख्यमंत्री

Posted by - अक्टूबर 17, 2023 0
पटना, 17 अक्टूबर 2023 :- • मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, बिहार विधान परिषद् के नवमनोनीत सदस्य डॉ० राजवर्द्धन आजाद के…

मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में भाजपा और महागठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर

Posted by - अक्टूबर 17, 2022 0
मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में भाजपा और महागठबंधन दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है ।दोनों जगहों का चुनाव बहुत…
Translate »
Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial
LinkedIn
Share
WhatsApp