पटना: पटना नगर मध्यदेशीय वैश्य महासभा के पूर्व अध्यक्ष गिरिजा लाल का निधन हो गया। उनके निधन से मध्यदेशीय समाज को गहरा सदमा लगा है। गिरिजा बाबू अपने समाज को अपना परिवार मानते थे। उन्होंने जीवनपर्यंत जनसेवा को प्राथमिकता दिया। कभी किसी से वैमनस्यता की भावना को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। लेकिन होनी को शायद यही मंजूर था। अक्सर गणिनाथ पूजा के अवसर पर बहुत बड़ा आयोजन कर समाज तथा अन्य समाज के लोगों को भी आमंत्रित करते थे और भोज देते थे। इस आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा पेंटिंग, डांसिंग जैसी प्रतियोगिताओं को आयोजित करते थे।
वे अपने पीछे पत्नी और एक पुत्र शिवजी प्रसाद को छोड़ गए हैं। जो चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय पटना में कार्यरत हैं एवं पुत्री को छोड़ गए हैं। वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। अचानक तबियत बिगड़ी तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन जो गया। उनका दाह संस्कार पटना के गुलबी घाट पर किया गया। उन्होंने सामाजिक कार्यों में इतनी बड़ी भूमिका निभायी यही वजह है कि उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ो लोग शामिल हुए। हालांकि उनकी अंतिम यात्रा निकालकर पटना के राजेन्द्रनगर स्थित गणिनाथ मंदिर में शव को लोगों का अंतिम दर्शन के लिए ले जाया गया, जहां लोगों ने दर्शन कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। मध्यदेशीय वैश्य महासभा के मंत्री जगदीश कुमार ने उनके बारे में कहा कि समाज में उनकी अपनी एक अलग पहचान थी,जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता है। जबकि उनके पुत्र शिवजी प्रसाद ने अश्रुपूर्ण आंखों से विदाई देते हुए कहा कि मेरी तो पूरी दुनिया थे।
उनके रहे से मुझे किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं रहती थी। मगर पिताजी के अधूरे सपनो को समाज के लिए जो है उसको पूरा करने का प्रयास करूंगा। उनकी श्रधांजलि एवं ब्रह्मभोज 31 दिसम्बर को पटना के मीठापुर स्थित घर पर रखा गया है। आपको बता दूं कि गिरिजा लाल भोजपुर जिले के कोइलवर के एक गांव से आकर पटना में खुद को स्थापित किया था। लेकिन सबसे बड़ी बात ये रही कि उन्होंने कभी अपनी मिट्टी को भी नहीं छोड़ा और लगातार वहां से भी जुड़े रहे।
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