बिहार में विधायकों और एमएलसी का फंड बढ़ाने के मसले पर चर्चा, अभी तीन करोड़ है लिमिट

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बिहार के सभी विधायकों और विधान पार्षदों के लिए क्षेत्र विकास निधि का फंड बढ़ाने की मांग शनिवार को विधानसभा में उठी। फिलहाल यह फंड हर विधान मंडल सदस्‍य के लिए तीन करोड़ रुपए निर्धारित है।

बिहार में मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत विधानसभा और विधान परिषद के प्रत्‍येक सदस्‍य को अपने क्षेत्र में योजनाओं की अनुशंसा करने का अधिकार है। हालांकि विधान पार्षद पूरे राज्‍य में कही भी योजना के लिए सिफारिश कर सकते हैं। कोविड महामारी के कारण विधायक और विधान पार्षद इस योजना से बाहर हो गए थे। योजना की राशि सीधे स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को दे दी गई थी। लेकिन नए वित्‍तीय वर्ष से यह अस्‍थायी व्‍यवस्‍था खत्‍म होने वाली है। यानी कि विधायकों और विधान पार्षदों को फिर से अपने फंड के मुताबिक योजना की अनुशंसा का अधिकार मिलने वाला है।

शनिवार को बिहार विधानसभा में मांग उठी क‍ि इस योजना के तहत हर विधान मंडल सदस्‍य के लिए निर्धारित राशि को बढ़ा दिया जाए। रामबली सिंह यादव ने यह प्रश्न उठाया था। उनका यह कहना था कि लगभग सभी विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 1500 गांव -टोला होता है। इस हिसाब से यह राशि प्रति गांव बीस हजार रुपए पड़ती है। महंगाई व ग्रामीण समस्याओं की संख्या और साथ में विधायकों से जनता की अपेक्षा को ध्यान में रख यह राशि कम है। इस कारण जन प्रतिनिधियों को जन आक्रोश का सामना करना पड़ता है।

विधायक के इस सवाल पर सरकार ने जवाब दे दिया है। योजना की राशि तीन करोड़ से अधिक किए जाने का सरकार के पास फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने शनिवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान आए इस आशय के सवाल पूछे जाने पर यह जानकारी दी। 

  • मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना की राशि तीन करोड़ से अधिक करने का प्रस्ताव नहीं
  • विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान योजना एवं विकास मंत्री ने दी जानकारी
  • योजना मंत्री ने कहा कि वर्ष 2018-19 से प्रत्येक विधानमंडल के सदस्य को प्रति वर्ष तीन करोड़ रुपए की सीमा तक अनुशंसा किए जाने का प्राविधान मार्गदर्शिका में किया गया है। पूर्व में इसके तहत प्रति वर्ष दो करोड़ रुपए की अनुशंसा का प्राविधान था। राज्य के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में संतुलित क्षेत्रीय विकास, निर्माण सामग्रियों के मूल्य में बढ़ोतरी एवं विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के विकास में क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने को ले यह व्यवस्था की गयी है।

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