हल्का कर्मचारी कवि भूषण प्रसाद ने जनता को हल्का बना कर रख दिया।

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हल्का कर्मचारी कवि भूषण प्रसाद के सामने सरकार के सारे नियम कानून ताख पर।

राजस्व कर्मचारी कार्यालय  कैमशीखो पटना सिटी  के कर्मचारी  कवि भूषण प्रसाद करते है अपनी मनमानी।

इनको ना कोई बोलने वाला ना कोई देखने वाला करते है अपना मनमाना कार्य।

पटना जिले के पटना सिटी राजस्व कर्मचारी कार्यालय  कैमशीखो पटना सिटी का मामला है जहाँ हल्का नंबर सात के कर्मचारी  कवि भूषण प्रसाद करते है अपनी मनमानी।  सरकारी नियम कायदे पर जिले के हलका कर्मचारी भारी पड़ रहे हैं. जमीन से संबंधित सारी जानकारी इनके पास है. फिलहाल पटना जिले के अंचलों में आवश्यकतानुसार हलका कर्मचारी नहीं हैं. परिणाम है कि एक के जिम्मे तीन से चार हल्का का  जिम्मेवारी सौंप दी गयी है। इस लिए करते है अपनी मनमानी। हल्का कर्मचारी कवि भूषण प्रसाद जब हल्का पांच में भी थे तो भी उनका रौब सांतबे आसमान पर था। फिर भी अलाधिकारी द्वारा उन पर कोई करवाई नही किया गया। कवि भूषण प्रसाद को लेकर सारे कर्मचारी को बदनामी उठाना पर रहा है। जब हल्का पांच में थे तो भी उनका केस पेंडिंग रहता था। सूत्रों के अनुसार बिना पैसा लिए कोई कार्य आगे नही करते थे। और जब ये हल्का सात में आये तो भी अपना मनमाना कार्य कर रहे है कभी कार्यालय आते है कभी नही आते है। जनता कवि भूषण प्रसाद के इन्तेजार में इन्तेजार कर के मायूस होकर घर चले जाते है। ऐसे में कर्मचारि कवि भूषण प्रसाद के रूतबे का क्या कहना! नेता हों या फिर कोई अन्य हर कोई कर्मचारियों से संबंध बेहतर चाहता है.

सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों के बैठने के लिये कोई जगह निश्चित नहीं है।  ऐसे में अपनी पसंद के स्थान पर उनका अपना कार्यालय चल रहा है. अपना अलग दफ्तर. अपनी मनमर्जी का दफ्तर.हल्का कर्मचारी कवि भूषण प्रसाद अपना आदमी साथ रखते हैं जो काम के बदले रकम वसूली का काम करते हैं. हर काम के लिये अलग-अलग फीस से इनकी दिनचर्या आरंभ होती है। सूत्रों के अनुसार हल्का कर्मचारी-अपने क्षेत्रों में अपने स्तर से दिहाड़ी पर क्लर्क की बहाली कर रखी है. इन्हीं ‘अवैध क्लर्क’ के हवाले से जमीन की दाखिल-खारिज से लेकर अन्य महत्वपूर्ण कार्य चलाए जा रहे हैं.

कर्मचारियों की है जिम्मेवारीः

जमीन की जमाबंदी, भू-लगान की रसीद कटाई, दाखिल खारिज के लिये प्राप्त आवेदनों की जांच कर प्रस्ताव तैयार करना सहित अन्य कार्य के निष्पादन में ‘हेरफेर की गुंजाइश’ को लोग बखूबी जानते हैं. राजस्व कर्मचारी द्वारा प्रस्ताव तैयार करने के बाद उसे सर्किल इंस्पेक्टर के पास भेजा जाता है.

इसके बाद सीओ उसका निष्पादन करते हैं. जमीन की रसीद काटने के बाद उसे सरकारी खजाने में जमा करने की जिम्मेवारी भी उनकी है. उससे कम से कम पांच गुनी ज्यादा राशि की मांग हल्का कर्मचारी करते हैं. दाखिल-खारिज के मामले में यह राशि और अधिक हो जाती है. यहां बिना चढ़ावा के कोई काम संभव नहीं है.

चलती है मनमानी :

जिले में राजस्व कर्मचारियों की कमी के कारण इनकी मनमानी चलती है. वे कई हल्का के प्रभार में रहते हैं. वैसे समाहर्ता को संविदा पर राजस्व कर्मचारी बहाल करने का अधिकार है लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. वर्ष 2014 से ही नियुक्ति प्रक्रिया अधर में लटकी पड़ी है. बहरहाल सरकारी नियम-कायदे इनके लिये कोई मायने नहीं रखता। और ना किसी अला अधिकारी के द्वारा कोई करवाई किया जाता है। ऐसा प्रत्रित होता है कर्मचारी से लेकर अंचलाधिकारी की मिली भगत होती है।

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