कई अन्य प्रमुख शक्तियों के विपरीत, भारत ने अभी तक यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की आलोचना नहीं की है और उसने रूसी आक्रमण की निंदा करने वाले प्रस्तावों पर संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर मतदान में हिस्सा लेने से परहेज किया है. वहीं, पिछले बृहस्पतिवार को यूक्रेन में मानवीय संकट को लेकर रूस द्वारा पेश प्रस्ताव पर मतदान के दौरान भी भारत अनुपस्थित रहा. यह इस संघर्ष को लेकर भारत के निष्पक्ष रूख को प्रदर्शित करता है.
नई दिल्ली. यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर रूस के खिलाफ भारत पर एक स्टैंड लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार शाम को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. पीएम मोदी और रूस के विदेश मंत्री के बीच यह मुलाकात 40 मिनट तक चली. प्रधानमंत्री ने पिछले दो हफ्तों में भारत दौरे पर आए ब्रिटेन, चीन, ऑस्ट्रिया, ग्रीस और मैक्सिको सहित किसी भी देश के मंत्री से सार्वजनिक रूप से मुलाकात नहीं की थी. ऐसे में रूसी विदेश मंत्री के साथ पीएम मोदी की यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है.
लावरोव ने कहा था कि वह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “व्यक्तिगत रूप से संदेश” देना चाहते हैं. रूसी विदेश मंत्री ने संवाददाताओं से कहा था, “राष्ट्रपति (पुतिन) और प्रधानमंत्री एक-दूसरे के साथ नियमित संपर्क में हैं और मैं राष्ट्रपति को अपनी बातचीत के बारे में रिपोर्ट करूंगा. वह जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी को अपना सर्वश्रेष्ठ सम्मान देते हैं और मैं व्यक्तिगत रूप से इस संदेश को देने के अवसर की सराहना करता हूं.”
पुतिन से 3 बार, तो जेलेंस्की से 2 बार फोन पर बात कर चुके हैं PM मोदी
संघर्ष शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर 24 फरवरी, 2 मार्च और 7 मार्च को बात कर चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी दो बार बात कर चुके हैं.
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत के तुरंत बाद लावरोव ने कहा कि रूस अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ द्विपक्षीय व्यापार के लिए बाधाओं को दूर करने के तरीके तलाश रहा है. लावरोव ने कहा कि भारत के साथ व्यापार के लिए रुपया-रूबल भुगतान प्रणाली पूर्व में लागू की गई थी तथा इसे और मजबूत किया जा सकता है.
रूस ने की यूक्रेन संकट पर भारत के रुख की सराहना
रियायती रूसी तेल खरीदने की नई दिल्ली की योजना के बारे में पूछे जाने पर लावरोव ने कहा कि मॉस्को वह कुछ भी प्रदान करने के लिए तैयार है जो भारत खरीदना चाहता है. रूसी विदेश मंत्री ने यूक्रेन संकट पर भारत के रुख की सराहना करते हुए कहा कि वह एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है. उन्होंने कहा कि भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में रूस अपना सहयोग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है.
जयशंकर एवं लावरोव के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई जब एक दिन पहले ही अमेरिका ने आगाह किया कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे. भारत और रूस के बीच यह उच्च-स्तरीय बैठक उन संकेतों की पृष्ठभूमि में हुई जिसमें व्यापक छूट पर रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदने की भारत की संभावनाओं तथा द्विपक्षीय व्यापार के लिए रुपये-रूबल की विनिमय व्यवस्था की बात सामने आई.
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