शिवानंद तिवारी ने कहा कि 2020 के चुनाव के बाद तेजस्वी के नेतृत्व आरजेडी विधानसभा में न सिर्फ सबसे बड़े दल के रूप में उभरा, बल्कि प्राप्त वोटों के प्रतिशत के हिसाब से भी सबसे बड़ा दल बना.
पटना: आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी यादव को पार्टी का कमान सौंपने की अपील की है. मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर तिवारी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से यह मांग की है. उन्होंने कहा कि बिहार में आज की पीढ़ी उन पुराने मुहावरों और कहावतों को नहीं समझती है जिसके महारथी लालू यादव हैं, लेकिन इस युवा आबादी ने तेजस्वी यादव को स्वीकार किया है.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि जब लालू यादव ने अपने राजनीतिक वारिस के रूप में तेजस्वी यादव को चुना तो राष्ट्रीय जनता दल ने संपूर्ण हृदय से इसको स्वीकार किया. यह जरूरी भी था. इसलिए भी कि बिहार देश का सबसे युवा प्रदेश है. बिहार की पूरी आबादी में 58 फीसद आबादी 25 बरस से नीचे वालों की है. इसके सपनों और आकांक्षाओं को लालू यादव सहित हम पुरानी पीढ़ी के लोग नहीं समझते हैं, वक्त बदला है. यह आबादी गांवों के उन पुराने मुहावरों और कहावतों को नहीं समझती है जिसके महारथी लालू जी हैं. लेकिन, इस युवा आबादी ने तेजस्वी यादव को स्वीकार किया है. इसका आकलन दो चुनाव के परिणामों से समझा जा सकता है. 2010 का विधानसभा चुनाव आरजेडी ने लालू यादव के नेतृत्व में लड़ा था. उस चुनाव में आरजेडी के महज 22 विधायक जीत पाए थे.
2020 विस चुनाव में सबसे बड़ा दल बनकर उभरा आरजेडी
आरजेडी नेता ने आगे कहा कि इसके बाद विधानसभा का दूसरा चुनाव 2015 में हुआ. उस चुनाव में लालू और नीतीश कुमार एक साथ हो गए थे. महागठबंधन की सरकार बन गई थी. उस चुनाव नतीजे से लालू यादव और नीतीश कुमार के संयुक्त ताकत का आकलन किया जा सकता है, लेकिन स्वतंत्र रूप से आरजेडी की ताकत का आकलन का वह नतीजा आधार नहीं हो सकता है. इसलिए उस चुनाव के परिणाम को यहां नजीर के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. लेकिन, उसके बाद 2020 के चुनाव में गठबंधन बनाने से लेकर नेतृत्व तक सब तेजस्वी यादव ने किया था. उस चुनाव में आरजेडी विधानसभा में न सिर्फ सबसे बड़े दल के रूप में उभरा, बल्कि प्राप्त वोटों के प्रतिशत के हिसाब से भी सबसे बड़ा दल बना.
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